Category: निष्कर्ष कौशल
आज सुबह जब आंख खुली चन्द शब्द सिराहने बैठे थे । हौले – धीरे जुडने लगे जैसे बनी हो, कोई गीत माला । कोई ढलना चाहता था कवीता …
तुझे चाहने से पहले , अन्जाना था जमाने की शर्तों से | अब कभी ढूंढता हूँ तुझे , रूढीयों के बाजार में | तेरी रूह तक …
दिये से झोंपड़ी को रोशन होते देखा , देखा सूरज को बादल में छिपते हुये| देखी बाढ, देखी बंजर जमीं, पाक नदी ने बनाया जिसे झर्झर| देखा उसी नदी …
कुछ लोग भूत बनाते हैं कुछ लोग इन्सानों में भूत बताते हैं तो कुछ लोग इन लोग के सहारे ऐसे बन जाते हैं , जो भूत भगाते हैं । …
मिले जो किस्मत और कर्म तो “क” से बनी कठिनाई | हिली जो रोजमर्रा की पगडंडी, तब वीधाता कि याद आई | बस एक एहसास था शायद मन शांत …
डूबा सूरज की आँखें लगी थी बुझने, उसकी चाल में थी लडखडाहट उसका मन चला मचलने | उसकी हालत देख एक सैलाब उठा, उस अधेड को पहचानने मन चला …
उत्तर प्रदेश में लगा मेला नेताओं का,उनके परिवारों का | पीटते प्रदेश में सुयश का ढोल, अपने जमीर से हारों का| झूठे वादे निभाने की ताल ठोकी सूखे में …
मैनें रिश्तों को बिखरते देखा है, कुछ फ़ायेदों, कुछ कायेदों के लिये| सुविधाओं के लिये, बुनियादी आवयश्कताओं के लिये मैने रिश्तों को टूटते देखा है| जैसे चला वो कम्पन, …