Category: निशांत मिश्रा
आज हमारे देश की हालत तो देखिए जरा, कोई राम के नाम पर वोट मांगता, कोई आरक्षण के नाम पर, किन कारणों से बंट रहा है देश, कौन है …
भरोसा था जिन पर, मुसीबत में साथ छोड़ा, एक अपना साया ही था, जो तब भी साथ था, सब अपने धकेल रहे थे मुझे, अंधेरों की ओर, एक अपना …
है आज दूर मुझसे कल मेरे पास होगी, मेरी ये मोहब्बत बस मेरे पास होगी, चाहें सितम जो दे दो, ग़म लाख मुझको दे दो, फिर भी मेरी मोहब्बत …
पथ से भटका, मन से भटका, फिर से संभला, अब राह वही पाने को, जिस राह चले थे साथ कभी, अब साथ वही पाने को, उस मृगतृष्णा के चक्रव्यूह …
उनके सपनों को क्यों बसाऊं आँखों में, बिखरने के लिए, अपने ही सपने ही क्या कम हैं, चूर-चूर होने के लिए, न उतर सका जो खरा उनकी उम्मीदों पे, …
इंसानों की इस बस्ती में इक अजब तमाशा देखा है, हर रोज़ यहाँ मैंने इंसानियत को मरते देखा है, हर चीज़ है बिकती इस बस्ती में, यह तो मैंने …
वर्तमान में बैठा, कल्पना और यथार्थ की, पारस्परिक तुलना कर रहा हूँ, आज खुद अपने आपसे, यह द्वन्द कर रहा हूँ….. यथार्थ की भयानकता, विवश करती है मुझे, नतमस्तक …
समुद्र किनारे बैठा, रेत पर लिख रहा था, मैं नाम तुम्हारा, याद कर रहा था मैं, गुजरा अतीत, सोच रहा था, अपने बीते कल को लेकर, एकाएक.. शांत व्याप्त …
ज़िन्दगी गरीब की वो गर्म हवा है, जो साँस लेकर छोड़ दी जाती है, ज़िन्दगी गरीब की वो गर्म सलाख है, जो जिधर चाहें मोड़ दी जाती है, कौन …
आज तो जिंदा हैं लेकिन, कल हमारी लाश पर रोयेंगे वो भी, हँसते हैं जो आज हम पर, कल तुम्हारे साथ ही रोयेंगे वो भी… दे दिए जिसने भी …