Category: निशांत
ख़ूब ज़ोर से गहरी साँस लेता हूँ और ज़्यादा ज़ोर से ‘हुम’ करके छोड़ता हूँ उसे मुक्त करता हूँ अपने आप को अपने से इस तरह भी
तुम कहो फूल मैं फूल बन जाता हूँ तुम कहो हवा मैं हवा बन जाता हूँ तुम कहो तितली मैं तितली बन जाता हूँ अब तुम कुछ मत कहो …
मैंने कहा तुम तूफ़ान हो तुम बिगड़ गई मैंने कहा तुम फूल हो अपने ही सौन्दर्य बोझ से दब गई मैंने कहा तुम हवा हो शरमाकर तुम्हारी नज़रें झुक …
कुछ कहने का सुख कुछ न कह पाने के दुख में छिपा रहता है चलती रहती है एक कहानी समानांतर
एक धूसर रंग धमनियों में उतरता चला जाता है भीतर एक चोर बैठा रहता है आस्माँ पर चांद उतर आता है ।
हमारे नाम के भीतर बैठे होते हैं हमारे पुरखे उनकी स्मृतियां हमारी सभ्यताएं संस्कृतियां इतिहास और कभा-कभी उनका भूगोल भी क्यों किसी का नाम गोबर धनिया फेंकना मिठइया होता …
आधा घंटा चुरा लिया है मैंने सुबह के समय में समाचार-पत्र पढ़ने के लिए एक घंटा चुरा लिया है मैंने दोपहर की कार्यावधि के बीच से कहानियों को पढ़ने …
पत्थरों के बीच मैंने तुम्हारे संगीत को सुना हड्डियों के कड़कड़ाके टूटने की गन्ध और बारिश से भीगे पत्थर लम्बे-लम्बे घास जिसमें छिपे हम और हवा में घुलता हुआ …
आज अचानक हाथों में आ गया एक वाक्य बहुत दिन पहले जब उम्र समझने वाली हो रही थी एक चिट पर लिख कर ‘उसने कहा था’ — ‘तुम बहुत …
पहली बार कहाँ देखा था केदारनाथ सिंह को कोलकाता के ठनठनियों काली मंदिर के पास एक गोरा-गारा ठिगना आदमी चला जा रहा था दो-चार लोगों के साथ “यही केदारनाथ सिंह हैं। हिंदी के …
फ़र्क पड़ता है, केदार “तुमने जहाँ लिखा है ‘प्यार’ वहाँ लिख दो सड़क फ़र्क क्या पड़ता है बस्ती में एक लड़की रस्सी से झूलते हुए पाई जाती है, केदार …
केदारनाथ सिंह को देखते हुए एक बाघ देखा केदारनाथ सिंह को देखते हुए एक बाप देखा केदारनाथ सिंह को देखते हुए सिर्फ केदार देखा और कुछ नहीं।
आकाश इतनी बड़ी शुभकामनाएँ और पृथ्वी इतना बड़ा प्यार मुझे मालूम है, दोस्त! इकतीस की उम्र में नौकरी पाने की हताशा और ऊब से ऊपर उठने का आनंद ‘ …
हम हो गए इतने कुंद कि पाँच-दस की मौत की ख़बर हमें अब द्रवित ही नहीं कर पाती धीरे-धीरे यह भी हो जाएगा कि हमारे निकटतम रिश्तेदार की मौत …
हे पिता ! जब तक रहा आपका सिर पर साया मैं घूमता रहा देश-प्रदेश बेफ़िक्र लेकिन बाद में तो बँध गया मैं घर के खूँटे से एक सम्बल है अब …
सचमुच यही उसके प्रेम करने की सही उम्र है जहाँ उसके सपनों में लहलहा रहा हो एक पवित्र सुर्ख़ लाल गुलाब इसी उम्र में दिल से निकलती है सच्ची …