बरसा बादल विनय कुमार 19/04/2012 नीरद जनवेणु No Comments सारे जग का दर्द समेटे बरसा बादल झूम-झूम और टूट-टूट कर बरसा बादल… धरती पर फैली हिंसा और पापों को धोने बरसा बादल… गुस्से या फिर प्यार में पागल… … [Continue Reading...]