Category: नीलेश माथुर
वो बेकसूर थे बहा था रक्त जिनका वो नहीं जानते थे कि सरहद किसे कहते हैं और आज़ादी क्या है, वो नहीं जानते थे नेहरु और जिन्ना को, वो …
मैं पथिक एकांत पथ पर चला जा रहा था हर तरफ कोहरे का साम्राज्य, एक दिन पत्तों पर अपने ओसकण छोड़ कर कोहरा हटा और मुझे दिखी उस पथ …
एक प्रश्न अक्सर मैं करता हूँ खुद से कि मैं कौन हूँ? अपने अस्तित्व की तलाश में खुद अपने आप से अपरिचित हैरान होता हूँ मैं खुद के मैं …
सिर्फ फुसफुसाहट है यहाँ निशब्द घोर सन्नाटा क्या मर चुके हैं शब्द या जुबां कट चुकी है क्यों है मौन पसरा हुआ क्या मर चुका है विरोध या संवेदनाओं …
जिन्होंने मुझे स्नेह दिया उनका तहे दिल से शुक्रिया, जो खेले मेरी भावनाओं से और जिन्होंने जख्म दिए उनका भी शुक्रिया, उम्र यूँ ही गुज़र जाएगी बीता हुआ हर …
बहुत गहराई से महसूस किया है मैंने दर्द को इन दिनों, बहुत समय बाद खुलकर रोने का मौका मिला है इन दिनों, कोई सह रहा है दुःख किसी के …
आओ चलें इस भीड़ से दूर कहीं जहाँ मौन मुखरित हो और शब्द निष्प्राण, अपने चेहरे से मुखौटे को उतार कर अपने ह्रदय से पूछें कुछ अनुत्तरित प्रश्न, झाड़ …
जिंदगी यूँ ही गुज़र जाती है बातों ही बातों में फिर क्यों न हम हर पल को जी भर के जियें, खुशबू को घर के इक कोने में कैद …
इतिहास में बड़ा कमजोर हूँ मैं हुमायूँ का बाप और शाहज़हान का बेटा याद नहीं मुझे, मुझे तो याद है बाबर की बर्बरता और औरंगजेब की साम्प्रदायिकता, कभी कभी …
सरे बाज़ार बिकते हैं इंसान सबके अलग अलग हैं दाम, किसी का ज़मीर बिक चुका है तो किसी ने इंसानियत बेच खायी, आबरू लुट रही है किसी की नपुंसक …