Category: नज़ीर अकबराबादी
हां इधर को भी ऐ गुंचादहन पिचकारी। देखें कैसी है तेरी रंगविरंग पिचकारी।। तेरी पिचकारी की तकदीद में ऐ गुल हर सुबह। साथ ले निकले हैं सूरज की किरन …
हिन्द के गुलशन में जब आती है होली की बहार। जांफिशानी चाही कर जाती है होली की बहार।। एक तरफ से रंग पड़ता, इक तरफ उड़ता गुलाल। जिन्दगी की …
जहां में फिर हुई ऐ ! यारों आश्कार बसंत हुई बहार के तौसन पै अब सवार बसंत निकाल आयी खिजाओं को चमन से पार बसंत मची है जो हर यक …
जब आदमी के पेट में आती हैं रोटियाँ । फूली नही बदन में समाती हैं रोटियाँ ।। आँखें परीरुख़ों से लड़ाती हैं रोटियाँ । सीने ऊपर भी हाथ चलाती हैं …
कल राह में जाते जो मिला रीछ का बच्चा। ले आए वही हम भी उठा रीछ का बच्चा । सौ नेमतें खा-खा के पला रीछ का बच्चा । जिस …
फ़क़ीरों की सदा ज़र की जो मुहब्बत तुझे पड़ जावेगी बाबा! दुख उसमें तेरी रुह बहुत पावेगी बाबा! हर खाने को, हर पीने को तरसावेगी बाबा! दौलत तो तेरे …
यारो सुनो ! ये दधि के लुटैया का बालपन । और मधुपुरी नगर के बसैया का बालपन ।। मोहन-सरूप निरत करैया का बालपन । बन-बन के ग्वाल गौएँ चरैया का …
क्या दिन थे यारो वह भी थे जबकि भोले भाले । निकले थी दाई लेकर फिरते कभी ददा ले ।। चोटी कोई रखा ले बद्धी कोई पिन्हा ले । …
टुक हिर्सो-हवा को छोड़ मियां, मत देस-बिदेस फिरे मारा क़ज़्ज़ाक अजल का लूटे है दिन-रात बजाकर नक़्क़ारा क्या बधिया, भैंसा, बैल, शुतुर क्या गौनें पल्ला सर भारा क्या गेहूं, चावल, मोठ, मटर, क्या …
बटमार अजल का आ पहुँचा, टक उसको देख डरो बाबा अब अश्क बहाओ आँखों से और आहें सर्द भरो बाबा दिल, हाथ उठा इस जीने से, ले बस मन …
न सुर्खी गुंचा-ए-गुल में तेरे दहन की न यासमन में सफाई तेरे बदन की नहीं हवा में यह बू नामा-ए-खतन की लपट है यह तो किसी ज़ुल्फ़-ए-पुर-शिकन की गुलों …
जब फागुन रंग झमकते हों तब देख बहारें होली की। और दफ़ के शोर खड़कते हों तब देख बहारें होली की। परियों के रंग दमकते हों तब देख बहारें …
दूर से आये थे साक़ी सुनके मयख़ाने को हम । बस तरसते ही चले अफ़सोस पैमाने को हम ।। मय भी है, मीना भी है, साग़र भी है साक़ी …
है दुनिया जिस का नाम मियाँ ये और तरह की बस्ती है जो महँगों को तो महँगी है और सस्तों को ये सस्ती है याँ हरदम झगड़े उठते हैं, …
आलम में जब बहार की लंगत हो दिल को नहीं लगन ही मजे की लंगत हो महबूब दिलबरों से निगह की लड़ंत हो इशरत हो सुख हो ऐश हो …
जब खेली होली नंद ललन हँस हँस नंदगाँव बसैयन में। नर नारी को आनन्द हुए ख़ुशवक्ती छोरी छैयन में।। कुछ भीड़ हुई उन गलियों में कुछ लोग ठठ्ठ अटैयन …
कल राह में जाते जो मिला रीछ का बच्चा ले आए वही हम भी उठा रीछ का बच्चा सौ नेमतें खा-खा के पला रीछ का बच्चा जिस वक़्त बड़ा …
है आबिदों को त’अत-ओ-तजरीद की ख़ुशी और ज़ाहिदों को ज़ुहद की तमहीद की ख़ुशी रिंद आशिक़ों को है कई उम्मीद की ख़ुशी कुछ दिलबरों के वल की …
(1) दुनिया में बादशाह है सो है वह भी आदमी और मुफ़लिस-ओ-गदा है सो है वो भी आदमी ज़रदार बेनवा है सो है वो भी आदमी निअमत जो खा …
कोई पुकारता है पड़ा ‘भेज’ या ‘ख़ुदा’ । अब तो हमारा काम थका भेज या ख़ुदा । कोई कहे है हाथ उठा भेज या ख़ुदा । ले जान अब …
है अब तो कुछ सुख़न२ का मेरे कारोबार बंद । रहती है तबअ३ सोच में लैलो निहार४ बंद । दरिया सुख़न की फ़िक्र का है मौज दार बंद । …