Category: नवीन कुमार ‘आर्यावर्ती’
हमने तुम्हें जन्म दिया हैनसों को खींचकर दूध दिया है।खुद भुखे रहकरतुम्हें दिया है भोजनहमें भी जीने दोमारो मत मुझेमत करो शोषणजीवन पर मेरा भी है अधिकारहमें भी जीने …
कट रहे पेड़ हैंअनवरतचल रहे हैंचाबुकपर्यावरण पर जल रहे हैं जंगलबेबसी सेएक नन्हा सा पौधाजिसे किया था खड़ादेकर सहारादेखा था सामनेखुद से बड़ा होते हुएछू रहे थे नभ कोगोद …
ऐसी क्या खता हुई मुझसेरात के अंधियारे मेंकि नज़र नहीं मिलाई आपनेसुबह-सुबह गलियारे मेंमाना कि थोड़ा बहक गया थापी मैंने शराब ही ऐसी थीऐसे में तेरी गर्म सांसेकम्बख़्त काॅकटेल …
साल दर साल मंैने उनका इस्तेमाल किया हैलेक़िन उनसे मुहब्बत नहीं एक साल किया है।तरज़ीह नहीं की और मुहब्बत भी नहीं कीबेदर्दों की तरह मैंने उनसे हाल किया है।सितमग़ारों …
हवसएक हद हैउस हद का भीसीमा लांघ चुके हैंव्यभिचारीअत्याचारीहवस की आग मेंझुलस रही हैबचपनयुवतियाँबेशकिमती लम्हेंचूर हो रहे हैंगौरवआर्यावर्त केतार-तार हो रहे हैंउड़ रही है खिल्लियाँदे रही है संकेतएक नए …
मैंने एक कविता लिखी हैआईए…मैं सुनाता हुँअच्छी लिखी हैमैंने एक कविता लिखी हैआपको पसन्द आएगीसमसामयिक लिखी हैहँसी के फुहारे भी हैंगुदगुदी होगीमन को भाएगीमज़ा आ जाएगाताज़गी आ जाएगीमैंने एक …
मुहब्बत कीजिए या न कीजिए एक करम कीजिए. इन्कार भी हस कर कीजिए इतना तो करम कीजिए.. क्या पता वक्त बेवक्त नाचीज काम आ जाए.. ऐ मगरूर हसी नफरत …
मान, सम्मान, अधिकार पाने के लिए बचाने के लिए कितने इन्तजार, कितनी मिन्नते कितने आरजू बार-बार रोज-रोज कितनी बार सप्ताहिक पक्शिक मासिक वर्षवार मान, सम्मान, अधिकार क्या? इसपर हक. …
“लाल कलम” मेरा जीवन लिख रही थी लाल कलम! लिखते-लिखते रो रही थी लाल कलम!! पन्नों की राहों में, राही कहलाते हुए! आंसू की बूंदें, स्याही कहलाते हुए!! थर-थर, …
“तमन्ना” आज फिर तमन्ना है कि उनसे, दिल की बात कह दें! आज फिर तमन्ना है कि उनसे, अपनी जज्बात कह दें!! है तमन्ना आखों की, उनसे आंखें चार …
जीवन के इस क्रीडा में, हम सब प्रतियोगी हैं! दुर्ग निवासी हो या टाट के, आपस में हम सब सह्योगी हैं!! आबाद करो तुम जीवन को, कभी बर्बाद नहीं! …
कर्मचारी हो या पदाधिकारी सभी वेतन के उत्राधिकारी वेतन के आस में लगे रह्ते कर्मी निजी हो या सरकारी पदाधिकारियो को क्या चिन्ता कर्मचारियो की सुनो दास्ता जिनके साथ …
“दो शब्द” आपके अनुरोध पर दो शब्द कहना चाह्ता हू दो शब्दो मे__ अपनी अभिव्यक्ति व्यक्त करना चाह्ता हू अब्ला की कमजोरी मनचलो की हवश बेरोजगारो की लाचारी अमीरो …
विश्वाश जब तूतता है बिसरता है तब सूख जाते है आसू आखो की तूत जाते है हौसला और मर जाता है आदमी उसका ह्रदय उसके रास्ते छूत जा्ती है …
“परिणाम” अतुल अभिराम अब्ज, कैसे करूँ अकथ गुणगान- मैं अलि तेरा अनुचर, उभय प्रणय रहे अविराम- प्रसाद विचरण संद्ध्य में, प्रणय बास फैलाती हुई – कई बार किया पथ विचलित, तंगपट में व्याकुल प्राण- हर सहर सुध आती है, …