अकेले होकर विनय कुमार 07/04/2012 नवीन नीर No Comments तुम सड़क पर चलते वक़्त धरती पर पड़ रही अपनी परछाईं को भी खुरचकर अपने से दूर करना चाहते हो तन्हाई की बंद-खुली दरारों में से गुज़रना चाहते हो … [Continue Reading...]
मरने के बाद विनय कुमार 07/04/2012 नवल, नवीन नीर No Comments मरने के बाद मेरी लाश को जलाना ना दफ़नाना ना बल्कि काल-चक्र के किसी पेड़ पर उल्टा टाँग देना किसी कंकाल की तरह ताकि मैं मरने के बाद तो … [Continue Reading...]