Category: नवीन सी. चतुर्वेदी
घनाक्षरी छन्द उदाहरण सहित आठ आठ तीन बार, और सात एक बार, इकतीस अक्षरों का योग है घनाक्षरी| सोलह-पंद्रह पर, यति का विधान मान शान जो बढाए वो सु-योग …
छन्द – अमृत ध्वनि संशय मन का मीत ना, जानत चतुर सुजान| इस में कोई गुण नहीं, ये है अवगुण ख़ान|| ये है अवगुण ख़ान, करे नुकसान भयानक| मान …
ध्यान दें समाज पर अग्रज हमारे सब, अनुजों की कोशिशों को बढ़ के उत्थान दें| उत्थान दें जन-मन रुचिकर रिवाजों को, भूत काल वर्तमान भावी को भी मान दें| मान दें मनोगत विचारों को …
छन्द – रोला हार गए जो टॉस, किसलिए उसे नकारा| भद्रजनों की रीत, नहीं ये संगाकारा| देखी जब ये तुच्छ, आपकी आँख मिचौनी| चौंक हुए स्तब्ध, जेफ क्रो, शास्त्री, …
कुण्डलिया छन्द का विधान उदाहरण सहित कुण्डलिया है जादुई, छन्द श्रेष्ठ श्रीमान| दोहा रोला का मिलन, इसकी है पहिचान|| इसकी है पहिचान, मानते साहित सर्जक| आदि-अंत सम-शब्द, साथ बनता …
घनाक्षरी छन्द – षडऋतु वर्णन – गरमी की लू जमाती ‘लप्पड़’ करारा सा पावस में नाचता है, तन-मन तक-धिन, शरद का चंद्र लगे, सबको दुलारा सा| हेमन्त खिलाये गुड …
सदियों पुरानी सभ्यता को बीस बार टटोलिए| किसको मिली बैठे बिठाये क़ामयाबी बोलिए| है वक़्त का यह ही तक़ाज़ा ध्यान से सुन लीजिए| मंज़िल खड़ी है सामने ही, हौसला …
करवा चौथ बदलता संसार बदलता व्यवहार बदलते सरोकार बदलते संस्कार बदलते लोग बदलते योग बदलते समीकरण बदलते अनुकरण बदलता सब कुछ पर नहीं बदलता नारी का सुहाग के प्रति …
यूं तो ऊंट, एक बुद्धिमान योजनाकार है | जो रेगिस्तान की गरमी से, बचने के लिये, अपने पेट की पोटली में, पानी भर के रखता है | और जब …
मैंने हवा को महसूस किया – शून्य को सम्पन्न बनाते हुए, सरहदों के फासले मिटाते हुए, खुशबु को पंख लगाते हुए, आवाज की दुनिया सजाते हुए, बिना कहीं भी …
क़लम के जादूगर! अच्छा है, आज आप नहीं हो| अगर होते, तो, बहुत दुखी होते| आप ने तो कहा था – कि, खलनायक तभी मरना चाहिए, जब, पाठक चीख …
मैं मैं मैं ये बकरी वाली ‘में-में’ नहीं है ये वो ‘मैं’ है जो आदमी को शेर से बकरी बनाता है………….. मैं, हर बार आदमी को, शेर से बकरी …
हमारे संस्कार – वट वृक्ष यानि बरगद का पेड़ यूँही नहीं बने हमारे संस्कार कुछ न कुछ तो है हर रीति रिवाज के पीछे ज़रूरत है उन्हें समझने की …
तुम लिखते हो, में पढता हूं, मैं कहता हूं, तुम सुनते हो मुझसे मेरा अन्तस पूछे, प्यारे किस के लिये लिखते हो कौन करेगा मूल्यांकन, इस परिश्रम का, जो …
मुझको तुझसे रंज नहीं है, तुझको मुझसे द्वेष नहीं! फिर हम क्यों लङते रहते हैं? जब किंचित भी क्लेश नहीं!! मेरी पीङा – तेरे आँसू, तेरा सुख – मेरी …
पहले से ही था क्षोभ ग्रस्त अत्याचारों से हुआ त्रस्त जब आम आदमी हुआ व्यस्त तब आयी ये पन्द्रह अगस्त बलिदानी थे, थे वरद हस्त विख्यात हुए, कुछ रहे …
तुझसे बातें करने तेरे दर पे आया हूँ साईं मुझको गले लगा ले, मैं न पराया हूँ ज्ञान की ज्योत जला, मन का अन्धकार हटाया है श्रद्धा और सबूरी …
हे अज्ञात विधाता तुझे प्रणाम| ना रूप तेरा, ना रंग तेरा, ना जानू तेरा नाम|| हे अज्ञात विधाता तुझे प्रणाम… कठिन वक्त में आता है तू, सच्ची राह दिखाता …
चल चलें इक राह नूतन भय न किंचित हो जहाँ पर पल्लवित सुख हो निरंतर अब लगाएं हम वहीँ पर बन्धु – निज आसन द्वेष – ईर्ष्या को न …
लुप्त हों न पलाश बिन तुम्हारे होलिका त्यौहार था इक कल्पना भर हाट में बाक़ायदा तुम स्थान पाते थे बराबर अब कहाँ वो रंग वो रंगीन भू-आकाश लुप्त हों …
स-हृदय यही, स-विनय कहें, स-कुशल सभी, स-उमंग हों| नये साल में, नये गुल खिलें, नई खुश्बुएं, नये रंग हों|१| कु-मती भगे, सु-मती जगे, सु-मधुर विचार विमर्श हों| सु-गठित समाज …
सलीक़ेदार कहन के नशे में चूर था वो| दिलोदिमाग़ पे तारी अजब सुरूर था वो|१| वो एक दौर की पहिचान बन गया खुद ही| न मीर, जोश न तुलसी, …
हरिक बीमार को उपचार की नेमत नहीं मिलती ये दुनिया है, यहाँ सर पे सभी के छत नहीं मिलती इधर बच्चे पिता के प्यार, माँ के दूध को तरसें …
हाथ में ‘आटा’ लिए, जो गुनगुनाये ज़िंदगी देख कर यूं दिलरुबा को मुस्कुराये ज़िंदगी कनखियों से देखना – पानी में पत्थर फेंकना काश फिर से वो ही मंज़र दोहराये …
मुश्क़िलों का प्रलाप क्या करना बेहतर है मुकाबला करना वो ही मेंढक कुएं से बाहर हैं जिनको आता है फैसला करना जिस की बुनियाद ही मुहब्बत हो उस की …