Category: नसीम अजमल
मनचंदा बानी के नाम नज़र सरशार उसकी । फ़ज़ा बेदार उसकी । बहोत बातें सुनी हैं सर-ए-बाज़ार उसकी । कहाँ कटता मेरा सर मगर तलवार उसकी । मैं छोटा सा नगीना …
जुदा ख़ुद से होता हुआ सामने । ऐसा मंज़र के जैसे ख़ुदा सामने । फूल महका हुआ दिल में इम्कान का और समंदर लहकता हुआ सामने । तन-बदन में सितारे …
मनचंदा बानी के नाम कोई बिस्तर नया सा । कि अब हो घर नया सा । नए से फूल लब पर दिलों में डर नया सा । नई सी …
कोई आहट न कोई डगर सामने । एक अक्स-ए-सफ़र सरबसर सामने । आसमाँ पर लहू गुल बिखरता हुआ और उभरता हुआ मेरा सर सामने । वो अकेला हज़ारों से लड़ता रहा जंग होती …
इक समन्दर सा गिरा था मुझ में । फिर बहोत शोर हुआ था मुझ में । रास्ते सारे ही मानूस से थे इक फ़कत मैं ही नया था मुझ …
आ मेरि जान कभी प्यार की पहचान में आ । तू अगर शोला है तो दीदा-ए-हैरान में आ । मुस्कुराता हुआ तू चाँद सितारों से निकल और हँसता हुआ भूले …