Category: नानकदेव
जगत में झूठी देखी प्रीत। अपने ही सुखसों सब लागे, क्या दारा क्या मीत॥ मेरो मेरो सभी कहत हैं, हित सों बाध्यौ चीत। अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज …
जो नर दुख में दुख नहिं मानै। सुख सनेह अरु भय नहिं जाके, कंचन माटी जानै।। नहिं निंदा नहिं अस्तुति जाके, लोभ-मोह अभिमाना। हरष शोक तें रहै नियारो, नाहिं …
थापिया न जाइ, कीता न होइ, आपै आप निरंजन सोइ॥ जिन सेविया तिन पाइया मानु, नानक गाविए गुणी निधानु॥ गाविये सुणिये मन रखि भाउ, दु:ख परिहरि सुख घर लै …
हरि बिनु तेरो को न सहाई। काकी मात-पिता सुत बनिता, को काहू को भाई॥ धनु धरनी अरु संपति सगरी जो मानिओ अपनाई। तन छूटै कुछ संग न चालै, कहा …