Category: नंदराम
स्वै गई निशँक आज ये री परयँक पर , बँग भौँह वारो मोहिँ अँक मो लगा गयो । मुरली मुकुट कटि तट पीतपट तैसे , अटपटी चाल चित मेरो …
सोहत हैँ सुख सेज दोऊ सुषमा से भरे सुख के सुखदायन । त्योँ नन्दरामजू अँक भरै परयँक परै चित चौगुने चायन । चूमत हैँ कलकँज कपोल रचैँ रस ख्यालहूँ …
हरि हेर हमारे हिये विष बीजन , बै गयो बै गयो बै गयो री । ठनि ठौर कुठौर सनेह की ठोकर , दै गयो दै गयो दै गयो री …
हरी हरी भूमि जहाँ हरी हरी लोनी लता , हरे हरे पात हरे हरे अनुराग मे । कहै नन्दराम हरे हरे यमुना के कूल , हरित दुकूल हरे हरे …