Category: नादिर अहमद खान
तुझे ये हक़ है सितम मुझपे तू हज़ार करे मगर वकार को मेरे न तार –तार करे तेरी ही फ़िक्र में गुज़री है सुब्हो-शाम मेरी कभी तो मुझको भी …
नाम अल्लाह का लेकर मै निकल जाऊँगा मै जो हालात का मारा हूँ, संभल जाऊँगा | दूर मंज़िल है बहुत राह में दुश्वारी भी हाथ में हाथ दे वरना मै फिसल जाऊँगा …
पिता ने जब सुना शहर की पढ़ाई के बारे में रख दिया गिरवी पुश्तैनी खेत और भेज दिया शहर के बड़े हॉस्टल अपने बेटे को जब पढ़ानी थी, इंजीनियरिंग …
दामिनी तुम जिंदा हो हर औरत का हौंसला बनकर न्याय की आवाज़ बनकर वक्त की ज़रूरत बनकर आस्था की पुकार बनकर एकता की मिसाल बनकर तुम लाखों दिलों में …
तेरा था कुछ और न मेरा था दुनिया का बाज़ार लगा था मेरे घर में आग लगी जब तेरा घर भी साथ जला था अपना हो या हो वो …
तुमने ओढ़ी आसुओं की चादर समाज खुश ज़ख़्मों को धोना मलहम लगाना चलते जाना सबकी खुशी आँसुओं पे न जाना फर्ज़ निभाना पिया घर जा आँसुओं को न देख …
(एक) श श् श् श्… सच बोलना मना है! सरकारें नशे में हैं खलल की सज़ा जेल की सलाखें या फिर सजाये मौत विकल्प आपका । (दो) नेता …
माना की दिल से प्यार तेरा कम नहीं होता दुनिया में मगर एक यही गम नहीं होता दुनिया में एक शख्स ही तुमको है क्यों अज़ीज़ माँ-बाप का …
दुआओं में सबके है आना जाना क्या मेरा क्या तुम्हारा ठिकाना सपनों में आना यादों में मिलना बस छोटा-सा है, हमारा घराना सस्ती है यहाँ जान हमारी-तुम्हारी …
अपनी चीख़ों से बेचैन सो न पाया था तुम्हे इसीलिये मै जगाने आया था बहुत बड़े थे तुम्हारी उम्मीदों के पहाड़ मै प्यार की पाठशाला में नया आया …
छोडकर सब-कुछ नया आगाज़ करते हैं नहीं शिकवा-शिकायत हंसी मजाक करते हैं सिर्फ गम ही तो नहीं दिये हमें ज़िंदगी ने बाढ़-तूफ़ान छोड़िये फसल की बात करते हैं …
तुमने सोचा तो बहुत था हमें बेड़ियों में बाँध अपने इशारों पर नचाओगे चाबुक दिखाकर डराओगे तुम आगे चलोगे हम तुम्हारे पीछे कटोरा लेकर दौड़ेंगे जब तुम्हारा जी …
परिंदो धीरे उड़ो सावधान उड़ो वर्ना तुम्हारे पर कट जाएंगे तलवारें हवाओं में लटकी हैं यकीनन यह किसी जादूगर का कमाल है कि तुम्हें ये तलवारें नहीं दिख रहीं …
तुम्हारी आवाज़ पे ठहर जाता हूँ ख़ामोश निगाहों से डर जाता हूँ तुम्हारे होने का एहसास ही तो है तुम ही तुम हो जिधर जाता हूँ दरवाज़े …
दिल परेशां ही सही आस जगाये राखिये अपने बच्चों में संस्कार बनाये राखिये माना कि भाग-दौड़ है जिंदगी में बहुत मेहमानों से घर अपना सजाये राखिये अजब …
क्या हुआ अगर तुम्हें तुम्हारे कुत्ते ने काट लिया तुम्हें तो ख़ुश होना चाहिए वह भी सीख गया है तुम्हारी तरह तुम्हारा व्यवहार तुम्हारा अपनापन |
इन हवाओं में घुली है दास्तानें प्यार की हो नहीं सकती अलग ख़ुशबू हमारे प्यार की हम नहीं बदले, मौसम कई आए-गए महकना सबके लिए, हैं फितरतें प्यार …
ज़रूरी तो नहीं जो दिखते हो वही तुम हो रस्सी हम समझे थे वो साँप की दुम हो अपना खूँ ए उबाल ज़रा संभाल कर रखो हम भी …
शख्त दीवार ही सही गिरना तय है वक्त मुश्किल ही सही बदलना तय है हम रुके हैं कहाँ रोके से किसी के है फ़ूल तो खुशबू का महकना तय …
जब-जब उम्मीद बनती है लोगों का लोगों पर विश्वास जागता है सामने से कोई पत्थर आता है और तमाम सुरक्षा घेरे को तोड़ता हुआ इंसानियत के माथे पर पड़ता …
दिल का ऐसा भी क्या आना प्यार करना न करा पाना ऐसी जिंदगी से क्या हासिल खुशी देना न खुशी पाना किताबों के पन्ने पलटते रहे समझ …
कुछ नियम ख़ास-ओ-आम होना चाहिए दुआ सलाम सुबह-शाम होना चाहिए नज़र ज़रूरी है सबकी कारगुज़ारी पर ख़ुद का मगर गिरहबान होना चाहिए आपकी तरक्की से हम नहीं …
दम तोड़ती रही ज़िंदगी रात-भर बेपरवाह महफ़िलें सजीं रात-भर दंगों में मरते रहे बच्चे-बूढ़े सभी इंसानियत शर्मशार रही रात-भर थी आज़ादी की सालगिरह जश्ने माहौल भी झोपड़ियों …
अक्सर हमारे हाथ यही रह जाता है डर और पैसे में इंसाफ़ बिक जाता है है झूठ तो फाँसी पे चढ़ा दो मुझको इंसाफ के इंतज़ार में इंसान ही …
मै भी तुझसे तू भी मुझसे,कुछ बात से हम शर्मिंदा हैं न तू भूला न मै भूला, प्यार तो अब भी जिंदा है न कुछ तेरा सब-कुछ मेरा …