Category: मुकेश शर्मा
॰ अल्हड़ मेरी जीवन-शैली हे शिव देखो ज्ञान मेरा, मुफ्त नहीं मैं माँग रहा हूँ कब दोगे वरदान मेरा? धूप,दीपकी ज्योति जला दी वायु में घ्रत घोल भंडार, आम …
हमने अपना ही तसव्वुर वीरां किया है दोस्तो, तारे-गिरीबां ज़ज़ीरा किया है दोस्तो। काश कि कभी देखते उनका अंदाज-ए-पैरहन, उफ़क-ए-महताब को बदनाम किया है दोस्तो। तेरी मेहर से बेमेहर …
इंतजार उस परी का कब बुलावै यारब, खयाल दिले-नादां को क्या सुनावै यारब? बात सुकूं की नहीं हो गर सच-सच बोलना, दास्तां कहाँ निकले कि दिल बहलावैं यारब? लिख …
ऐ वतन तेरे दामन कितनी मौत बाकी हैं, अहले-मुल्क,किस सड़क से फ़ासला बरतें? लरजती हो जुबां ए आवाम जहाँ दहशत से हनोज़, ऐसे मसीहानफ़शां किस सरकार से फ़ासला बरतें? …
उम्दा हर्फ़ तकदीर का जिन्दगी की लकीर से, यूँ गुजर गया कभी जानता ही न हो। रही जिन्दगी घूरती उस हर्फ़ को लेकिन, ज्यों रूह को जिस्म पर ऐतबार …
तुम कत्ल को जेहाद हम हत्या की नजर से देखते हैं, अपनी जमीं पर भी तुम्हें अपनी नजर से देखते हैँ। देखने दिखाने का अपना- अपना नजरिया है दोस्त, …
इश्क में गर जान की बाजी लगी तो क्या लगा, उन्होंने लगा दीं मासूम की गर्दनें किसके लिए? न रवायत मुल्क की न माँ का दामन ही बचा, उछल …
तितली आई पंख पसार करके सुहागिन ऋतु-श्रंगार, उड़े पखेरु धड़का दिल आ गए भंवरे बन कातिल। रानी घूमो करो विहार संग हमारे भी सत्कार, हम हैं फूलों के माली …
और नया साथी होता कोई और नया मंजर होता, आज तुम्हारे अधरों को मैं चूम न लेता क्या होता? देवलोक की हूर नहीं तुम ना तुम मलिका सावन की, …
भारत की बेटी ने रखा पहला कदम ससुराल में, अगले कदम पर मौत के मंजर निकल आए। सँजोए थे ख्वाब कुछ फूलों की सेज पर, महकते फूलों से जब …
घर से निकलते ही अयोध्या का जिक्र होता है, हिन्दू आपको मुसलमां आपको खफ़ा होता है। जो शाह तरजीह दे रहे हैं इन गुनेहगारों को, क्या सुप्रीम कोर्ट उन …
आ बैठ चंद घड़ी आराम कर ले किश्ती जिन्दगी की बहक सी रही है, मुझे दिख रहा है नदी का उफान भी जिन्दगी भी तेरी मुझे दिख रही है। …
खट-खट खट-खट निपट अकेला साथ न उसके बुग्गी-ठेला, करे सुरक्षा जिस छत नीचे उसके नीचे झाम-झमेला। फिर चलता फिर रुकता कर्मी एक अकेला निर्बल कर्मी, कह न सके वह …
कभी-कभी सोचता हूँ क्या चाहूँ इस दौर में, बेईमानी,भ्रष्टाचार के सिवा कुछ दिखता ही नहीं। आप भी अपनी नजर उठाकर देखिए श्रीमान, नजर उठाने वाला कोई शख्स दिखता ही …
ख़त भी मेरा कलम भी मेरी शिक्षा पर मेरा अधिकार, मेरी कौन सी वस्तु नहीं तुम हाथ उठाओ बरखुरदार? (हाथ) लड़की वही भोली दिखे विवाह उपरांत निखरे रंग, उस …
कलयुग हमको दे रहा जीवन की रंगीनियां, सेक्स के बाजार बसि सल्फास की गोलियाँ। जल रही है नार क्यूँ ससुराल की अंगनाई में, शासन तेल उड़ेलता प्रशासन रहा दफ़नाई …
1-॰ मौत से ही डर रहा मौत से ही भागकर, मौत से ही कर रहा मौत का व्यापार। 2- कर बहाना किस घड़ी मौत का पैगाम मिले, दोष तेरे …
1-. चमचा पूरा देश अरु चमची प्रजा महान। अपना ही घर लूटते चोर,भ्रष्ट,बेईमान॥ 2- जिसको चाहें लुट लें देकर घूंस जनाब। हाथ जोड़कर चल पड़ें छापें ह्रदय घाव॥ 3- …
1-॰ जिस आँगन में खेलती गई अब उससे दूर। माँग डालकर ले गया रिश्तों का सिन्दूर॥ 2- चुटकी भर सिन्दूर से गई समन्दर पार। मात-पिता को दी खुशी छीने …
1- यूँ भी न मुस्कुराइए कि मंजर बदलने लगे, हालत तन्हा मुसाफिर की सुधरने लगे, फिर कहाँ होगी फुर्सत सर उठाने की हमको, गर आसमां ही जमीं पर उतरने …
1-॰ दर्द मेरे भी जिगर कुछ कम नहीं यारो, जां लटकी है खते-इंतजार में यारो, किसे मालूम गर्दिशे-मुदाम हमनशीं का मगर, वक्त है जंगे-मआल के इंतजार में यारो। 2- …
1- मुझे बहकने दे रौनके-बहार में साकी, तू न बहक वर्ना मैं बहक जाऊँगा, बहकने पर तेरे कहर छा जाएगा, मैं तो कहर का भी सामना कर जाऊँगा। 2- …
1- यही थे वो लोग जो हँसते मुस्कुराया करते थे, मेरे साथ गुनगुनाया करते थे, आज इन चेहरों पर मातम् है कभी बहारे-गुल खिला करते थे। भला इस वक्त …
1- मालूम कि न तुझे नेक शिक्षा मिली है, इसलिए जरा तू हटकर चली है, सजा निज आँगन गुलिस्तां कोई, जिन्दगी ये आखिर किसकी भली है? 2- वैश्या मैं …
1- आ सोचते हैं बैठकर ये सोच भी क्या चीज है, ये सोच चिता से है बड़ी अपनी-अपनी सोच है। 2- अजब-अनोखी दुनियां में अजब-गजब के रिश्ते हैं, अजब …