Category: लोकेश उपाध्याय
मैं उस चमन का माली हूँ जिसके फूलो पे मेरा आधिकार नहीं हर फूल नफरत करता है मुझसे काँटों को भी मुझसे प्यार नहीं एक एक पौधे को सींच …
रात ढलती नहीं वक्त कटते नहीं आंसुओं से ये पत्थर पिघलते नहीं हमसफर भी हमें कुछ ऐसा मिला साथ में दो कदम साथ चलते नहीं रिश्ता दर्दो से अपना …
यह दिल भी क्या चीज है जो हर पल ही तडपता है शाम सुबेरे जब भी देखो याद तुम्हारी दे जाता है हर वक्त तुम्हारे पास में रहने का …
क्या हुआ क्यों इतना शोर मचाते हो आजादी आजादी चिल्लाते हो भूख से मरते बच्चे , आनाज फेका जाता है फिर भी मेरा भारत महान कहलाता है सरे आम …
मुस्कुराना आब क़यामत की बात हो गई है कोई कहता है मुझे सो जाओ ,बहुत रात हो गई है कभी चूमा करता था जिन होठो को मै उन्ही होठो …
मेरे मरने पर आंसू न बहाना वफाये भूल जाना तुम आपने हाथों में मेहंदी सजाना वफाये भूल जाना तुम गिला शिकवा हो जो मुझसे मेरी खाक से कह देना …
तुम्हारी नजर झुके तो शाम हो जाये मयखाने में भीड़ जाम पे जाम हो जाये तुम चाहो तो कुछ भी कर दो अगर पानी छु दो तो शराब …
इन प्यारी प्यारी नजरो से एक बार देखो दिल कह रहा है मेरे यार देखो देखो जवाँ फिजाये कुछ गुनगुना रही है आओं साथ मेरे ये बहार देखो बहती …
शाम होती है एक दर्द की रात लिए रुलाती है बहुत दिल की बात लिए वफा करके बहुत ही दोस्तों दिल रोता है आँखों में आंसू लिए कभी जिनकी …
जिसे अपने दिल के सबसे करीब पाया मौत का पैगाम उसी की ओर से आया हम तो मुस्कुराये तुम मेरी जान लोगे तो उसने हस कर कहा तुम मेरा …
मैंने सोचा न था मयखाने में आने पर इतना बवाल होगा हर तरफ उंगलिया उठेंगी हर तरफ एक सवाल होगा दुनिया कितनी जालिम है जिन्दगी को जिन्दगी से दूर …
चेहरा कितना हसीन है मेरे जनाब का खिलता हुआ कंवल है हुस्नो शबाब का एक नूर सी चमक आँखों ने उनकी पाई चांदनी की रौनक जंमी पे उतर आई …
रात ढलती नहीं वक्त कटते नहीं आंसुओं से ये पत्थर पिघलते नहीं हमसफर भी हमें कुछ ऐसा मिला साथ में दो कदम साथ चलते नहीं रिश्ता दर्दो से अपना …