Category: ललित निरंजन
“ यह व्यंगात्मक कविता उस समय लिखी गयी थी जब देश में मंडल और कमंडल आन्दोलन अपनी चरम सीमा में था, पूरा देश इसकी चपेट में था, सारी राजनिती …
वृद्ध दिवस _______________________ मैंने सहसा देखा रात्रि ८ बजे एक अक्टूबर २०१५ को, अरे आज मनाया जा रहा है वृद्ध दिवस समस्त संसार में I मैं ७२ + का …
“काल चिंतन” समय किसके रूका है? कौन रोक पाया है? वह तो, अनवरत चलता रहता है सब कुछ बदलता रहता है I जिसको है पहचान समय की, वही बांध …
क्या बोया, क्या पाया, क्या खोया…? बहुत कुछ बोया, बहुत कुछ पाया, बहुत कुछ खोया.! अब जब बीत गयी ज़िन्दगी तीन चौथाई, फिर भी समझ नहीं पाता क्या कुछ …
जब वो नहीं रही ? ———————————- जब तक वो साथ थी सवेरा था, दिन था, रोशनी थी सब कुछ था, पर वो अब नहीं रही…………..? अचानक शाम हो गयी, …
“त ला श” ———– ज़िन्दगी है एक छलावा, एक धूंद, एक भूलावा ज़िन्दगी है, सारी की सारी, एक भटकन कभी ना ख़त्म होने वाली, एक तलाश सदियों से मानव …
‘व्हॉट इज़ द ट्रू लव’ ? ——————————————— अक्सर पूछा जाता है एक प्रश्न ? वह भी अंग्रेजी में ‘व्हॉट इज़ द ट्रू लव’ ? अब हम तो ठहरे हिंदुस्तानी …
! “काश होता मैं ! ———————————————————— काश ! होता हर पल मेरा, बारिश की एक एक बूँद टपकता रहता बिना किसी चाह के, खोता रहता धरती की गोद में …
“अनुभूति” ————————- एकाँत के एक छँड़ में ज़िन्दगी के हर बीते पल की ओर आज सहसा ही धयान खीँच जाता है और तभी होती है एक “अनुभूति..! क्या हमने …
जीवन और मृत्यु? क्या है पहचान जीवन और मृत्यु का? है प्रश्न बड़ा ही कठिन….? इंसान है जीवित जब तक, है कोमल और कमजोर तब तक वही इंसान जब …
“मैं समुद्र हूँ, समुद्र क्या कहता है ? और फिर मैं समुद्र को किस नज़रिए से देखता हूँ, दोनों का समावेश है इस छोटी सी कविता में……………! “मैं समुद्र …
!”शून्य”! ब्रहमांड ही शून्य है अनन्त ही शून्य है, शून्यता भी तो शून्य है सम्पूर्णता भी तो शून्य ही है I ! बिंदु ! हाँ है बिंदु सूक्ष्मतम आकार …
“जीवन है हलचल और परिवर्तन” ? —————————————– क्या है सही ? है क्या गलत ? कौन है दोस्त ? है कौन दुश्मन ? कौन है अपना ? और कौन …