कर भाग्य से हाथ चार Prashant Singh Chauhan 06/11/2015 कुमार प्रशांत 6 Comments यूं चूक मत तू बार-बार कर शर-संधान फिर एक बार, भेद दे तू मत्स्य आंख यूं अवसर मुख तू अब ना ताक । बीता समय, हंस हुआ काग रीता … [Continue Reading...]
आत्म गीत Prashant Singh Chauhan 10/10/2015 कुमार प्रशांत 4 Comments 1. विमल-तनय मतिमान रूप में था जन्म यह पाया, कीर्ति-कथा सम्भावी रचने को था प्रशांत कहलाया । शैशव काल-प्रखर स्मृति मधुकथायें सजतीं, पुलकित मन-नभ में नित नव नूपुर भी … [Continue Reading...]