Category: खुर्शीद हयात
आसमाँ नीले गुब्बारे की तरह उड़ गया सूरज पतंग की तरह ताड़ पर आ लटका ज़मीन तांबे की हो गयी सारा शहर मुर्दा हो गया कहते हैं ये निशानी …
अपने वतन की मिट्टी से बनी हाँडी हाँडी में बनी चाय चाय की सोंधी सोंधी खुशबू खुशबू अपने वतन की मिट्टी की अलग अलग संस्कृति की ज़बान की , …
वह तेरी हंसी थी , वह कैसा समां था मुअत्तर तेरी ज़ुल्फ़ से गुलसितां था , हिनाई सफ़र था , चमन नग़मा ज़न था मेरी जिंदगी में तू रूह …
क्यों समझ नहीं पाते पापा मेरे आशियाँ में तुम हो अब बे बाल ओ पर ; इन फिज़ाओं पर तुम्हारा हक नहीं जाते हो सेहन ए चमन में तुम …
वह सुनहरी सी थी सुनहरी आज भी है वह तपती थी तपती आज भी है समुंदर की इक प्यास लिए भटकती थी भटकती आज भी है कभी नर्म हथेलियों …
समुंदर में मैं हूं मुझ में समुंदर ! बारिश की बूँदें समुंदर में और समुंदर बारिश की बूँदों में मुझे करीब से देखो पहचानो ! उभरती डूबती लहरों को …