Category: कश्मीर सिंह
पर्दे के पीछे का आदमी ज्यादा घातक है वह दिखता नहीं करता बहुत कुछ है उसकी मारक क्षमता बहुत ज्यादा है वह किसी के निषाने पर टिकता नहीं स्थिर …
लाज क्या चीज़ होती है अजी अब कोई ष्षर्माता ही नहीं हमदर्दी क्या बला होती है दो बोल भूलवष भी इसके कोई जुबां पे लाता नहीं तपाक से तथ्यों …
हाय पैसा हाय पैसा रिश्ता नाता ढाए पैसा खून चोरी कराए पैसा हाय पैसा हाय पैसा रात दिन दौडाए पैसा अस्त व्यस्त कराये पैसा हाय पैसा हाय पैसा ईमानदारी …
आत्महत्या चिडि़या चींटी कुत्ते गाय हर मौसम में बिन घर-बार ठौर-ठिकाने के बिन उगाए-पकाए अपनी पूरी जिंदगी जीने की भरपूर कोशिश की और इधर एक मानव ने सब कुछ …
कविताओं की कलाओं में साहित्य की सभाओं में क्यों उलझूं ’मैं’ मुझे तो अपनी बात सीधे कहनी है शब्द के आडम्बरों से परे इशारों से भी पहले समझ ले …
दाता वह बहुत बडा देता जो अनमोल दान बदले में वह कुछ न लेता वह सन्त है बहुत ही महान। जिसने ले लिया हो सन्यास उसे भला फिर किसी …
“नेता” वह देखो नेता महाराज आ रहे हैं। पार्टी कार्यकर्ता आसीस पा रहे हैं। बाकी जो लोग दूर हैं खड़े । गाड़ियों से उठती धूल फाँक खा रहे …
तपस्या का ताप”—–कश्मीर सिह दुख की घड़ी में कहीं से जब सुख नजर आने लगा। ऐसा लगा जैसे मृत्यु के बाद नया जन्म फिर से आने लगा। लम्बी …
पिछला जन्म क्या था याद नहीं किसी को अगला जन्म क्या होगा नहीं पता किसी को इस जन्म में जो है बेसुध सच मानों हैं विधाता उनसे बहुत क्रुध …
न हम अपनी इच्छा से यहां इस दुनियां में आए हैं न हम अपनी मर्जी से इस दुनियां से लौट पायेंगे फ़िर क्यों इच्छाओं के सागर में हम इतना …
लगता है चाँद मुजरिम है कैद काट रहा है रातों की घुप्प काली कोठरी में सूरज को सिपाही बनाकर सुरक्षा व्यावस्था का मुस्तैद जिम्मा सौंपा गया है धरती ने …
न मेरा न तेरा यह भारत देश हम सबका हम यहां करेंगे ईमानदारी से मजदूरी किसानी कुली गिरी नेता गिरी अफसरी हर तरह के क्षमतानुसार अपने-अपने धन्धे अपनायेंगे …
कभी- कभार जब कभी मेरी बस्ती में मुझे कोई मेरे नाम से आवाज देता है,तो मुझे मेरे होने का तब जाकर सही अहसास होता है। खोया-खोया …
“कौन महान” कौन बड़ा है कौन है छोटा आओ करें विचार ताकि न हो सके हम किसी भ्रम का शिकार क्या शासक बड़ा है प्रशासक बड़ा है धनवान बड़ा …
कोई तो है!’ मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है। मैं जो लिखता हूं वह नहीं पढ़ता क्योंकि कोई उसकी पढ़ने …
“क्या होगा” गुस्सा कर…. अपना माथा फोड कर क्या होगा जमीन से आकाश में वार कर क्या होगा समुद्र में कागज की कश्ती उतार कर क्या होगा …
कोई तो है! मेरा पाठक मुरझा गया है क्योंकि कोई उसकी समस्या अनसुलझी छोड़ कर सुलझा गया है। मैं जो लिखता हूं वह नहीं पढ़ता क्योंकि कोई उसकी …
हल्ला बोल बंद दरवाजे देने चाहिए तुरंत खोल हो रहा हो गलत वहां कर देना चाहिए हल्ला बोल… अंधेरे में दीपक जलाकर रोशनी सबको दिखाकर कह देना चाहिए बेफिक्र उजाले हैं बहुत अनमोल एक रेखिक नियम में चलती है दुनिया धुरी से भटकेगी जब यह टूटेगी माला धागे से बिखरेंगें, हम मनकों की तरह समय रहते ही जाग कर हमें देने चाहिए आंख, कान सबम खोल बढ़ रही जहां जहां गंदगी साफ करें तो बात बने समझ में आता यही सही इसी में हम सब की बंदगी छोड़ देना चाहिए अब टालमटोल आंख मूंदकर चलने …