Category: काका हाथरसी
‘काका’ वेटिंग रूम में फँसे देहरादून । नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून ॥ मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली । हमें उड़ा ले ज़ाने की …
वंदन कर भारत माता का, गणतंत्र राज्य की बोलो जय । काका का दर्शन प्राप्त करो, सब पाप-ताप हो जाए क्षय ॥ मैं अपनी त्याग-तपस्या से जनगण को मार्ग …
बिना टिकट के ट्रेन में चले पुत्र बलवीर जहाँ ‘मूड’ आया वहीं, खींच लई ज़ंजीर खींच लई ज़ंजीर, बने गुंडों के नक्कू पकड़ें टी. टी. गार्ड, उन्हें दिखलाते चक्कू …
राशन की दुकान पर, देख भयंकर भीर ‘क्यू’ में धक्का मारकर, पहुँच गये बलवीर पहुँच गये बलवीर, ले लिया नंबर पहिला खड़े रह गये निर्बल, बूढ़े, बच्चे, महिला कहँ …
प्रकृति बदलती छण-छण देखो, बदल रहे अणु, कण-कण देखो| तुम निष्क्रिय से पड़े हुए हो | भाग्य वाद पर अड़े हुए हो| छोड़ो मित्र ! पुरानी डफली, जीवन में परिवर्तन …
नेता अखरोट से बोले किसमिस लाल हुज़ूर हल कीजिये मेरा एक सवाल मेरा एक सवाल, समझ में बात न भरती मुर्ग़ी अंडे के ऊपर क्यों बैठा करती नेता ने …
भोलू तेली गाँव में, करै तेल की सेल गली-गली फेरी करै, ‘तेल लेऊ जी तेल’ ‘तेल लेऊ जी तेल’, कड़कड़ी ऐसी बोली बिजुरी तड़कै अथवा छूट रही हो गोली …
पिल्ला बैठा कार में, मानुष ढोवें बोझ भेद न इसका मिल सका, बहुत लगाई खोज बहुत लगाई खोज, रोज़ साबुन से न्हाता देवी जी के हाथ, दूध से रोटी …
भाँड़, भतीजा, भानजा, भौजाई, भूपाल पंचभूत की छूत से, बच व्यापार सम्हाल बच व्यापार सम्हाल, बड़े नाज़ुक ये नाते इनको दिया उधार, समझ ले बट्टे खाते ‘काका ‘ परम …
ढाई मन से कम नहीं, तौल सके तो तौल किसी-किसी के भाग्य में, लिखी ठौस फ़ुटबौल लिखी ठौस फ़ुटबौल, न करती घर का धंधा आठ बज गये किंतु पलंग …
भारतीय इतिहास का, कीजे अनुसंधान देव-दनुज-किन्नर सभी, किया सोमरस पान किया सोमरस पान, पियें कवि, लेखक, शायर जो इससे बच जाये, उसे कहते हैं ‘कायर’ कहँ ‘काका’, कवि ‘बच्चन’ …
कभी घूस खाई नहीं, किया न भ्रष्टाचार ऐसे भोंदू जीव को बार-बार धिक्कार बार-बार धिक्कार, व्यर्थ है वह व्यापारी माल तोलते समय न जिसने डंडी मारी कहँ ‘काका’, क्या …
पड़ा – पड़ा क्या कर रहा , रे मूरख नादान दर्पण रख कर सामने , निज स्वरूप पहचान निज स्वरूप पह्चान , नुमाइश मेले वाले झुक – झुक करें …
बटुकदत्त से कह रहे, लटुकदत्त आचार्य सुना? रूस में हो गई है हिंदी अनिवार्य है हिंदी अनिवार्य, राष्ट्रभाषा के चाचा- बनने वालों के मुँह पर क्या पड़ा तमाचा कहँ …
जा दिन एक बारात को मिल्यौ निमंत्रण-पत्र फूले-फूले हम फिरें, यत्र-तत्र-सर्वत्र यत्र-तत्र-सर्वत्र, फरकती बोटी-बोटी बा दिन अच्छी नाहिं लगी अपने घर रोटी कहँ ‘काका’ कविराय, लार म्हौंड़े सों टपके …
बड़ा भयंकर जीव है , इस जग में दामाद सास – ससुर को चूस कर, कर देता बरबाद कर देता बरबाद , आप कुछ पियो न खाओ मेहनत करो …
नाम – रूप के भेद पर कभी किया है ग़ौर ? नाम मिला कुछ और तो शक्ल – अक्ल कुछ और शक्ल – अक्ल कुछ और नयनसुख देखे काने बाबू …
फादर ने बनवा दिये तीन कोट¸ छै पैंट¸ लल्लू मेरा बन गया कालिज स्टूडैंट। कालिज स्टूडैंट¸ हुए होस्टल में भरती¸ दिन भर बिस्कुट चरें¸ शाम को खायें इमरती। कहें …
सीधी नजर हुयी तो सीट पर बिठा गए। टेढी हुयी तो कान पकड कर उठा गये। सुन कर रिजल्ट गिर पडे दौरा पडा दिल का। डाक्टर इलेक्शन का रियेक्शन …
नियम प्रकृति का अटल, मिटे न भाग्य लकीर । आया है सो जाएगा राजा रंक फ़कीर ॥ राजा रंक फ़कीर चलाओ जीवन नैय्या । मरना तो निश्चित है फिर …
रिंग रोड पर मिल गए नेता जी बलवीर । कुत्ता उनके साथ था पकड़ रखी जंजीर ॥ पकड़ रखी जंजीर अल्शेशियन था वह कुत्ता । नेता से दो गुना …
तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप । साज़ मिले पंद्रह मिनट. घंटाभर आलाप ॥ घंटाभर आलाप, राग में मारा गोता । धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता ॥ कहें …
व्यंग्य एक नश्तर है ऐसा नश्तर, जो समाज के सड़े-गले अंगों की शल्यक्रिया करता है और उसे फिर से स्वस्थ बनाने में सहयोग भी। काका हाथरसी यदि सरल हास्यकवि …
भजन-कीर्तन का इस युग में बदल चुका है ढर्रा। चरणामृत की जगह देश में चरता देशी ठर्रा। जिसे पी के, हज़ारों नर-नार, भवसागर से तरे। हरे रामा, हरे रामा, …
असली माखन कहाँ आजकल ‘शार्टेज’ है भारी चरबी वारौ ‘बटर’ मिलैगो फ्रिज में, हे बनवारी आधी टिकिया मुख लिपटाय जइयो बुलाय गई राधा प्यारी कान्हा, बरसाने में आय जइयो …