Category: कबीर
निरंजन धन तुम्हरो दरबार । जहाँ न तनिक न्याय विचार ।। रंगमहल में बसें मसखरे, पास तेरे सरदार । धूर-धूप में साधो विराजें, होये भवनिधि पार ।। वेश्या ओढे़ …
पहले आप पहले आप, बुड्ढा होगा तेरा बाप…… तब नौकर था अब मालिक हूँ, तब तेरा था अब मेरा है। अँधियार हटा आया प्रकाश, अब साँझ नहीं सबेरा है॥ …
हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या ? रहें आजाद या जग से, हमन दुनिया से यारी क्या ? जो बिछुड़े हैं पियारे से, भटकते दर-ब-दर फिरते, हमारा यार है …
गगन दमामा बाजिया, पड्या निसानैं घाव । खेत बुहार्या सूरिमै, मुझ मरणे का चाव ॥1॥ भावार्थ – गगन में युद्ध के नगाड़े बज उठे, और निशान पर चोट पड़ने …
भगति भजन हरि नांव है, दूजा दुक्ख अपार । मनसा बाचा क्रमनां, `कबीर’ सुमिरण सार ॥1॥ भावार्थ – हरि का नाम-स्मरण ही भक्ति है और वही भजन सच्चा है ; …
सुपने में सांइ मिले सोवत लिया लगाए आंख न खोलूं डरपता मत सपना है जाए सांइ मेरा बहुत गुण लिखे जो हृदय माहिं पियूं न पाणी डरपता मत वे …
साधो ये मुरदों का गांव पीर मरे पैगम्बर मरिहैं मरि हैं जिन्दा जोगी राजा मरिहैं परजा मरिहै मरिहैं बैद और रोगी चंदा मरिहै सूरज मरिहै मरिहैं धरणि आकासा चौदां …
निरबैरी निहकामता, साईं सेती नेह । विषिया सूं न्यारा रहै, संतनि का अंग एह ॥1॥ भावार्थ – कोई पूछ बैठे तो सन्तों के लक्षण ये हैं- किसी से भी …
जेता मीठा बोलणा, तेता साध न जाणि । पहली थाह दिखाइ करि, उंडै देसी आणि ॥1॥ भावार्थ – उनको वैसा साधु न समझो, जैसा और जितना वे मीठा बोलते …
लेखा देणां सोहरा, जे दिल सांचा होइ । उस चंगे दीवान में, पला न पकड़ै कोइ ॥1॥ भावार्थ – दिल तेरा अगर सच्चा है, तो लेना-देना सारा आसान हो …
जिसहि न कोई तिसहि तू, जिस तू तिस ब कोइ । दरिगह तेरी सांईयां , ना मरूम कोइ होइ ॥1॥ भावार्थ – जिसका कहीं भी कोई सहारा नहीं, उसका …
हरिजन सेती रूसणा, संसारी सूँ हेत । ते नर कदे न नीपजैं, ज्यूं कालर का खेत ॥1॥ भावार्थ – हरिजन से तो रूठना और संसारी लोगों के साथ प्रेम …
अंदेसड़ा न भाजिसी, संदेसौ कहियां । कै हरि आयां भाजिसी, कै हरि ही पास गयां ॥1॥ भावार्थ – संदेसा भेजते-भेजते मेरा अंदेशा जाने का नहीं, अन्तर की कसक दूर …
रे दिल गाफिल गफलत मत कर, एक दिना जम आवेगा ॥ सौदा करने या जग आया, पूँजी लाया, मूल गॅंवाया, प्रेमनगर का अन्त न पाया, ज्यों आया त्यों जावेगा …
राम बिनु तन को ताप न जाई । जल में अगन रही अधिकाई ॥ राम बिनु तन को ताप न जाई ॥ तुम जलनिधि मैं जलकर मीना । जल …
रहना नहिं देस बिराना है। यह संसार कागद की पुडिया, बूँद पडे गलि जाना है। यह संसार काँटे की बाडी, उलझ पुलझ मरि जाना है॥ यह संसार झाड और …
`कबीर’ भाठी कलाल की, बहुतक बैठे आइ । सिर सौंपे सोई पिवै, नहीं तौ पिया न जाई ॥1॥ भावार्थ – कबीर कहते हैं – कलाल की भट्ठी पर बहुत …
मोको कहां ढूँढे रे बन्दे मैं तो तेरे पास में ना तीरथ मे ना मूरत में ना एकान्त निवास में ना मंदिर में ना मस्जिद में ना काबे कैलास …
मोको कहां ढूढें तू बंदे मैं तो तेरे पास मे । ना मैं बकरी ना मैं भेडी ना मैं छुरी गंडास मे । नही खाल में नही पूंछ में …
मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया। पांच तत की बनी चुनरिया सोरह सौ बैद लाग किया। यह चुनरी मेरे मैके ते आयी ससुरे में मनवा खोय दिया। मल मल …
माया महा ठगनी हम जानी।। तिरगुन फांस लिए कर डोले बोले मधुरे बानी।। केसव के कमला वे बैठी शिव के भवन भवानी।। पंडा के मूरत वे बैठीं तीरथ में …
`कबीर’ माया पापणी, फंध ले बैठी हाटि । सब जग तौ फंधै पड्या,गया कबीरा काटि ॥1॥ भावार्थ – यह पापिन माया फन्दा लेकर फँसाने को बाजार में आ बैठी …
मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ॥ जो सुख पाऊँ राम भजन में सो सुख नाहिं अमीरी में मन लाग्यो मेरो यार फ़कीरी में ॥ भला बुरा सब का …
मन मस्त हुआ तब क्यों बोलै। हीरा पायो गाँठ गँठियायो, बार-बार वाको क्यों खोलै। हलकी थी तब चढी तराजू, पूरी भई तब क्यों तोलै। सुरत कलाली भई मतवाली, मधवा …
मन ना रँगाए, रँगाए जोगी कपड़ा ।। आसन मारि मंदिर में बैठे, ब्रम्ह-छाँड़ि पूजन लगे पथरा ।। कनवा फड़ाय जटवा बढ़ौले, दाढ़ी बाढ़ाय जोगी होई गेलें बकरा ।। जंगल …