Category: जयन्ती प्रसाद शर्मा
होली है भई होली है। देख दृश्य टीवी पर होली के- दादा जी हुरियाय गये, कर बातें याद अतीत की- मन ही मन मुस्काय गये। उठे हुमक कर घोल …
गंगा माता मोक्ष दायिनी, भक्ति मुझे दो अनपायिनी। नहीं साधारण, तेरा जल है गंगाजल, मज्जन कर जो करें आचमन- उनको तू दे देती अमित फल। कलुष तन मन का …
अंग्रेजी में निमंत्रण पत्र प्राप्त कर- दिल हो गया बाग बाग। अपने को आभिजात्य वर्ग से जुड़ने पर- हो रही थी अपार प्रसन्नता। सच ‘सोनी वेड्स मोनी’ शब्दों का …
लाशों के ढेर पर खड़ा हुआ वह मना रहा था जश्न, खून का लाल रंग उसे दे रहा था सुकून। वह कभी मुस्कुराता था, करता था जोर से अट्टहास। …
मुझको यारो माफ करना मैं नशे में हूँ, होश में मुझको न लाना मैं मजे में हूँ। दीन दुनिया की नहीं मुझको खबर, अह्सासे दर्द से हूँ बेखबर। कोई …
दर्पण में देख कर अपना विवर्ण मुख- काँप उठा वह। उसके मन का चोर उसकी आँखों से झांक रहा था। वह मिला न सका अपनी आँखें- अपने प्रतिबिम्ब की …
संघातिक हैं नैन तुम्हारे, जब से नज़र मिलाई तुमने– दुर्दिन आये हमारे . . . . संघातिक ……। कनखइयों से मारी दीठ, मुस्काईं फिर देकर पीठ। उतराए सीधे मेरे …
भाई साहब शुभ प्रभात- क्यों म्लान है मुख, शिथिल गात………………भाई साहब……….। मैंने आपको उच्च पीठासीत देखा है, मैंने आपका गौरवशाली अतीत देखा है। स्वघोषित ये रौद्रावतार, लोगों को आपसे …
अनजानी सी राह पर चलता रहा वह निरुदेश्य। न थी उसकी कोई मंजिल, न था कोई लक्ष्य। बस सामने थी एक अनंत राह- जिसका न था कोई ओर न …
मै कोई गीत गाना चाहता हूँ साध सकता क्या सुरों को- आजमाना चाहता हूँ ………………… मै कोई गीत…………….. । फगवा गाऊँ, कजली गाऊँ, सोरठ गाऊँ, ये गाऊँ या वो …
रहना था हमको साथ मगर दूर हो गये, किस्मत ने ना दिया साथ मजबूर हो गये। हमने ना की कोई जफा पर नहीं पाई बफा, वडे अरमान से दिल …
अपनों की उपेक्षा व असंवेदना ने कर दिया था उसे- कुंठाग्रस्त। लोगों के सर्द व्यवहार से उसके मन मस्तिष्क पर फैल गई थी- बर्फ की एक मोटी परत। जड़ …
मेरा मन एक आस का पंछी- स्वयं भी भटकता है मुझे भी भटकाता है। वह चलता है आगे आगे और मै बंधा किसी अदृश्य डोर से- उसके पीछे दौड़ता …
मेरी बारी कब आयेगी? लोग आते हैं करते है सिद्ध औचित्य अपनी त्वरितता का- और मै उन्हें अपने से आगे जाने का रास्ता दे देता हूँ। कुछ लोग कातर …
साहित्य समाज का दर्पण है- और समाज मनुष्य के व्यक्तित्व का कृतित्व का। मै इस कद्दावर समाज में, साहित्य में प्रतिबिम्ब उसके बिम्ब में, मैग्नीफाइंग ग्लास की मदद से …
मैंने पूँछा कब आओगे, मेरे मन के सूखे उपवन में, प्रेम सुधा कब बरसाओगे ……………….. मैंने पूँछा कब आओगे….। अतृप्त है मन, संतप्त है तन, तेरी बेरुखी से, अभिशप्त बना …
मुझे साजन के घर जाना है। आओ शीलू, नीलू आओ तुमने मुझे सजाना है।…….मुझे साजन…….। करना मेरा षोडश श्रृंगार, जायें सजन दिल अपना हार। भूल जायें आंखें झपकाना- अनुपम …
उसने गली के मोड़ से देखा, उसके घर के बाहर लगी हुई थी लोगों की भीड़। कुछ लोग अन्दर जा रहे थे, कुछ बाहर आ रहे थे। वह आशंकित …
कुछ अपनों के, कुछ परायों के कन्धों का लेकर सहारा- पहुँच चुका था वह सफलता के उच्चतम शिखर पर। आत्म गौरव से भर गया था वह, साथ ही बौरा …
शिवा कान्त की बोलो जय, करुणा कर सब कष्ट हरेंगे, कर देंगे तुमको निर्भय ………शिवाकांत………..। महादेव देवाधिदेव, मेरे आराध्य तुम एक मेव, मूलाधार प्रभु तुम मेरे मुझको आलम्बन सर्वदा …
पाक भारत का, भारत पाक का है– पारम्परिक प्रतिद्व्न्दी। इनकी प्रतिद्व्न्दता है सास बहु जैसी– जिसके लिए किसी मुद्दे की जरुरत नही होती। बहु परदे की ओट से दिखा …
ठुकराओ मत प्यार मेरा। अह्सासे हुस्न से तनी हुई हो, हर मन की चाहत बनी हुई। हैं बहुत चाहने वाले तेरे, अभी प्रसंशक तेरे घनेरे। नहीं भाव में मुझको …
लोग अक्सर पूंछते हैं मुझसे- मै कौन हूँ मेरी पहचान क्या है? मै हो जाता हूँ किंकर्तव्य विमूढ़, नहीं सोच पाता हूँ- अपने को परिभाषित करने के लिये क्या …
रहना चाहता था मै निरापद, बचता रहा नदी, नाले और बम्बे से, नहीं छुआ भडकते शोलों को, रहा दूर बिजली के खम्बे से। बचते बचाते भी एक दिन भारी …
मैंने एक सपना देखा, आज पार्क में घूम रही थी मेरे संग अभिनेत्री रेखा……मैंने एक…….। वह संग संग मेरे डोल रही थी, मुझको नजरो से तोल रही थी। सुन्दर …