Category: जावेद अख़्तर
ये बता दे मुझे ज़िन्दगी प्यार की राह के हमसफ़र किस तरह बन गये अजनबी ये बता दे मुझे ज़िन्दगी फूल क्यूँ सारे मुरझा गये किस लिये बुझ गई …
ये तेरा घर ये मेरा घर, किसी को देखना हो गर तो पहले आके माँग ले, मेरी नज़र तेरी नज़र ये घर बहुत हसीन है न बादलों की छाँव …
प्यार मुझसे जो किया तुमने तो क्या पाओगी मेरे हालात की आंधी में बिखर जाओगी रंज और दर्द की बस्ती का मैं बाशिन्दा हूँ ये तो बस मैं हूँ …
तुमको देखा तो ये ख़याल आया ज़िन्दगी धूप तुम घना साया आज फिर दिल ने एक तमन्ना की आज फिर दिल को हमने समझाया तुम चले जाओगे तो सोचेंगे …
क्यूँ ज़िन्दगी की राह में मजबूर हो गए इतने हुए करीब कि हम दूर हो गए ऐसा नहीं कि हमको कोई भी खुशी नहीं लेकिन ये ज़िन्दगी तो कोई …
हर ख़ुशी में कोई कमी-सी है हँसती आँखों में भी नमी-सी है दिन भी चुप चाप सर झुकाये था रात की नब्ज़ भी थमी-सी है किसको समझायें किसकी बात …
यही हालात इब्तदा से रहे लोग हमसे ख़फ़ा-ख़फ़ा-से रहे बेवफ़ा तुम कभी न थे लेकिन ये भी सच है कि बेवफ़ा-से रहे इन चिराग़ों में तेल ही कम था क्यों …
मैनें दिल से कहा ऐ दीवाने बता जब से कोई मिला तू है खोया हुआ ये कहानी है क्या है ये क्या सिलसिला ऐ दीवाने बता मैनें दिल से …
मिसाल इसकी कहाँ है ज़माने में कि सारे खोने के ग़म पाये हमने पाने में वो शक्ल पिघली तो हर शै में ढल गई जैसे अजीब बात हुई है …
आँख खुल मेरी गई हो गया मैं फिर ज़िन्दा पेट के अन्धेरो से ज़हन के धुन्धलको तक एक साँप के जैसा रेंगता खयाल आया आज तीसरा दिन है आज …
प्यास की कैसे लाए ताब कोई नहीं दरिया तो हो सराब कोई रात बजती थी दूर शहनाई रोया पीकर बहुत शराब कोई कौन सा ज़ख्म किसने बख्शा है उसका रखे कहाँ …
दर्द अपनाता है पराए कौन कौन सुनता है और सुनाए कौन कौन दोहराए वो पुरानी बात ग़म अभी सोया है जगाए कौन वो जो अपने हैं क्या वो अपने …
तमन्ना फिर मचल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ यह मौसम ही बदल जाए, अगर तुम मिलने आ जाओ मुझे गम है कि मैने जिन्दगी में कुछ नहीं पाया …
जाते जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया उम्र भर दोहराऊँगा ऐसी कहानी दे गया उससे मैं कुछ पा सकूँ ऐसी कहाँ उम्मीद थी ग़म भी वो शायद बरा-ए-मेहरबानी …
क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा कुछ ना होगा तो तज़रूबा होगा हँसती आँखों में झाँक कर देखो कोई आँसू कहीं छुपा होगा इन दिनों ना-उम्मीद सा हूँ मैं …
कभी यूँ भी तो हो दरिया का साहिल हो पूरे चाँद की रात हो और तुम आओ कभी यूँ भी तो हो परियों की महफ़िल हो कोई तुम्हारी बात …
इक पल गमों का दरिया, इक पल खुशी का दरिया रूकता नहीं कभी भी, ये ज़िन्दगी का दरिया आँखें थीं वो किसी की, या ख़्वाब की ज़ंजीरे आवाज़ थी …
आप भी आइए हमको भी बुलाते रहिए दोस्ती ज़ुर्म नहीं दोस्त बनाते रहिए। ज़हर पी जाइए और बाँटिए अमृत सबको ज़ख्म भी खाइए और गीत भी गाते रहिए। वक्त …
आज मैंने अपना फिर सौदा किया और फिर मैं दूर से देखा किया ज़िन्दगी भर मेरे काम आए असूल एक एक करके मैं उन्हें बेचा किया कुछ कमी अपनी …
अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना मैंने पलकों पे तमन्नाएँ सजा रखी हैं दिल में उम्मीद की सौ शम्मे …