Category: जैन अंशु डी॰ आँसू
अजनबी से अजनबी रही ज़िन्दगी एक पहेली रही ! मतलब से जिसने कभी देखा आईने में आईने सी रही ! उन से ही था रिश्ता मेरा दोस्ती अब न …
अव्वल अस्ल है हिन्दी सभी का कल है हिन्दी ! गगन छूए और भाषा हिन्द में अटल है हिन्दी ! सुंदर सोम्य प्यारी बहुत शीतल है हिन्दी ! एक …
कुछ इस तरह ज़िन्दगी रुकने लगी है हर पल हर जगह ढूंढते रहते हैं घर का पता शामो-सहर ! कुछ मैं कहूँ कुछ तुम कहो ज़िन्दगी के ख़्वाब बुनो …
किसी अजनबी शहर में ढूंढ रहे हैं उन वादियों के निशान, चिराग़ तो मिल गया मगर सुराग़ नहीं मिला अभी तक……!!!! जैन अंशु डी॰ आँसू