उगता राष्ट्र विनय कुमार 21/03/2012 जगन्नाथप्रसाद 'मिलिंद' No Comments मेरे किशोर, मेरे कुमार! अग्निस्फुलिंग, विद्युत् के कण, तुम तेज पुंज, तुम निर्विषाद, तुम ज्वालागिरि के प्रखर स्रोत, तुम चकाचौंध, तुम वज्रनाद, तुम मदन-दहन दुर्धर्ष रुद्र के वह्निमान दृग … [Continue Reading...]