साधो को धौं कहँते आवा admin 31/12/2011 जगजीवन No Comments साधो को धौं कहँते आवा। खात पियत को डोलत बोलत, अंत न का पावा॥ पानी पवन संग इक मेला, नहिं विवेक कहँ पावा। केहिके मन को कहाँ बसत है, … [Continue Reading...]
पावक सर्व अंग काठहिं माँ admin 31/12/2011 जगजीवन No Comments पावक सर्व अंग काठहिं माँ, मिलिकै करखि जगावा। ह्वैगै खाक तेज ताही तैं, फिर धौं कहाँ समावा॥ भान समान कूप जब छाया, दृष्टि सबहि माँ लावा। परि घन कर्म … [Continue Reading...]