Category: हरमीत शर्मा कवि
दुर्गेश मिश्रा
13/05/2017
अज्ञात कवि, ओमेन्द्र शुक्ला, धर्मेन्द्र कुमार निवातियाँ, नवल पाल प्रभाकर, मदन मोहन सक्सेना, मनिंदर सिंह मनी, राम केश मिश्र, शर्मन, शिशिर कुमार गोयल, सजन कुमार मुरारका, हरदीप कौर सन्धु, हरदीप बिरदी, हरप्रसाद पुष्पक, हरमीत शर्मा कवि, हरि पौडेल, हरि शंकर सैनी, हरिओम कुमार, हरिवंशराय बच्चन, हरिहर झा, हरेन्द्र पंडित, हर्ष कुमार सेठ, हसरत जयपुरी, हितेन पाटीदार, हितेश कुमार शर्मा, हिमांशु 'मोहन', हिमांशु श्रीवास्तव, हेमन्त 'मोहन', हेमन्त कुमार, हेमन्त खेतान, हेमन्त शेष
– एक सफ़र देखे मैंने इस सफर में दुनिया के अद्भुत नज़ारे, दूर बैठी शोर गुल से यमुना को माटी में मिलते | की देखा मैंने इस सफर में….. …
अपने देश की राजनीति आज गीली मिटटी की तरह हो गयी जो भी इसमें आता उसकी नज़र आज बुरी ही नज़र आती पांच साल अपने यूँ ही बिता दिए …
चंदा की तरह , यौम मुस्कराना हवा की तरह , तुम मुझ में बहना आहट तुम मेरे हृदय में यूँ देना जैसे नई दुनिया मुझे पुकार रही हो हाथ …
दिल मेरा बड़ा रो रहा तुम्हारे इंतज़ार में देखो में पिघल रहा समय यह बड़ी तेजी से चल रहा दिन मेरे कुछ ही पलों के कुछ ही यादों के …
काली घटा छाई है लेकर साथ अपने यह ढेर सारी खुशियां लायी है ठंडी ठंडी सी हव यह बहती कहती चली आ रही है काली घटा छाई है कोई …
जैसे सुर बिना ताल नही उसी तरह प्रेम बिना जीवन नही सूर्य बिना सवेरा नही उसी तरह अन्धेरे बिना रात नही प्रेम कहाँ नही है ये कोई बात नही …
मुझे तुम भूल गए समझदार अब सब तुम हो गए कोई ऐसा भी जमाना था मेरे लिए मर मिटे थे तुम कोई ऐसा भी वक़्त था तुम्हारी पहचान मैं …
बाबुल जब मैं पैदा हुई दुनिया इस ने सब ने ताने मुझे तुमहे मारे ! देख यह सब मैं घबराई बीएस एक तुम ने पापा मुझे परी अपनी तब …
हे ईस्वर तेरी बनाई यह धरती , कितनी ही सुन्दर नए – नए और तरह – तरह के एक नही कितने ही अनेक रंग ! कोई गुलाबी कहता , …
नेता आज का , बड़ा खराब अपनी सोचता , देश को बेचता थोड़ा सा ही नहीं , कुछ भी नहीं करता सच्चे कार्य छोड़ , बुरे करता नेता ते …
रख तुम्हे कोख में उस महान आत्मा ने , तुम्हे इस जग में जन्म दिया ! कितने सह दर्द कहती वो मीठे से थे , रखा संभाल तुम्हे नो …
चाँद का रूप आज सजना के रूप में , मुझे याद आया ! सुबह से लेकर अब तक शाम हो गयी , पर साजन कहीं भी मुझे नज़र न …