नूरजहाँ विनय कुमार 14/03/2012 गुरुभक्तसिंह ‘भक्त’ No Comments सुरभित पुष्पों की रज औ, लेकर मोती का पानी। हिम बालाओं के कर से, जो गई प्रेम से सानी॥ पृथिवी की चाक चलाकर, दिनकर ने मूर्ति बनाई। छवि फिर … [Continue Reading...]