Category: गोविन्द
मो मन बसौ श्यामा-श्याम। श्याम तन मन श्याम कामर, माल की मणि श्याम। श्याम अंगन श्याम भूषण, वसन हैं अति श्याम। श्याम-श्याम के प्रेम भीने, ‘गोविंद जन भए श्याम॥
भूत सी भयावनी भुजँग सी पयावनी औ , चूल्हे की सी लावनी ज्योँ नील मे रँगाई है । हाथी कैसे खाल बूढ़े भालू कैसे बाल , मनो बिधि ते …
देखो माई इत घन उत नँद लाल। इत बादर गरजत चहुँ दिसि, उत मुरली शब्द रसाल॥ इत तौ राजत धनुष इंद्र कौ, उत राजत वनमाल। इत दामिनि दमकत चहुँ …