Category: गोपालदास ‘नीरज’
है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए जिस तरह से भी हो ये मौसम बदलना चाहिए रोज़ जो चेहरे बदलते है लिबासों की तरह अब जनाज़ा ज़ोर से उनका …
स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से लुट गये सिंगार सभी बाग़ के बबूल से और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे। कारवाँ गुज़र गया गुबार देखते रहे। नींद …
सेज पर साधें बिछा लो, आँख में सपने सजा लो प्यार का मौसम शुभे! हर रोज़ तो आता नहीं है। यह हवा यह रात, यह एकाँत, यह रिमझिम घटाएँ, …
इसको भी अपनाता चल, उसको भी अपनाता चल, राही हैं सब एक डगर के, सब पर प्यार लुटाता चल। बिना प्यार के चले न कोई, आँधी हो या पानी …
विश्व चाहे या न चाहे, लोग समझें या न समझें, आ गए हैं हम यहाँ तो गीत गाकर ही उठेंगे। हर नज़र ग़मगीन है, हर होठ ने धूनी रमाई, …
तन तो आज स्वतंत्र हमारा, लेकिन मन आज़ाद नहीं है। सचमुच आज काट दी हमने जंजीरें स्वदेश के तन की बदल दिया इतिहास बदल दी चाल समय की चाल …
पिया पिया कह मुझको भी पपिहरी बुलाती कोई, मेरे हित भी मृग-नयनी निज सेज सजाती कोई, निरख मुझे भी थिरक उठा करता मन-मोर किसी का, श्याम-संदेशा मुझसे भी राधा …
मैं तूफ़ानों मे चलने का आदी हूं.. तुम मत मेरी मंजिल आसान करो.. हैं फ़ूल रोकते, काटें मुझे चलाते.. मरुस्थल, पहाड चलने की चाह बढाते.. सच कहता हूं जब …
अजनबी यह देश, अनजानी यहां की हर डगर है, बात मेरी क्या- यहां हर एक खुद से बेखबर है किस तरह मुझको बना ले सेज का सिंदूर कोई जबकि …
मैं अकंपित दीप प्राणों का लिए, यह तिमिर तूफान मेरा क्या करेगा? बन्द मेरी पुतलियों में रात है, हास बन बिखरा अधर पर प्रात है, मैं पपीहा, मेघ क्या …
अंधियारा जिससे शरमाये, उजियारा जिसको ललचाये, ऎसा दे दो दर्द मुझे तुम मेरा गीत दिया बन जाये! इतने छलको अश्रु थके हर राहगीर के चरण धो सकूं, इतना निर्धन …
काल बादलों से धुल जाए वह मेरा इतिहास नहीं है! गायक जग में कौन गीत जो मुझ सा गाए, मैंने तो केवल हैं ऐसे गीत बनाए, कंठ नहीं, गाती …
पंथ पर चलना तुझे तो मुस्कुराकर चल मुसाफिर! वह मुसाफिर क्या जिसे कुछ शूल ही पथ के थका दें? हौसला वह क्या जिसे कुछ मुश्किलें पीछे हटा दें? वह …
आँसू जब सम्मानित होंगे मुझको याद किया जाएगा जहाँ प्रेम का चर्चा होगा मेरा नाम लिया जाएगा। मान-पत्र मैं नहीं लिख सका राजभवन के सम्मानों का मैं तो आशिक …
तब मानव कवि बन जाता है ! जब उसको संसार रुलाता, वह अपनों के समीप जाता, पर जब वे भी ठुकरा देते वह निज मन के सम्मुख आता, पर उसकी …
मधुपुर के घनश्याम अगर कुछ पूछें हाल दुखी गोकुल का उनसे कहना पथिक कि अब तक उनकी याद हमें आती है। बालापन की प्रीति भुलाकर वे तो हुए महल …
मगर निठुर न तुम रुके, मगर निठुर न तुम रुके! पुकारता रहा हृदय, पुकारते रहे नयन, पुकारती रही सुहाग दीप की किरन-किरन, निशा-दिशा, मिलन-विरह विदग्ध टेरते रहे, कराहती रही …
बूढ़े अंबर से माँगो मत पानी मत टेरो भिक्षुक को कहकर दानी धरती की तपन न हुई अगर कम तो सावन का मौसम आ ही जाएगा मिट्टी का तिल-तिलकर …
तुम आए कण-कण पर बहार आई तुम गए, गई झर मन की कली-कली। तुम बोले पतझर में कोयल बोली, बन गई पिघल गुँजार भ्रमर-टोली, तुम चले चल उठी वायु …
आज बसंत की रात, गमन की बात न करना! धूप बिछाए फूल-बिछौना, बगिय़ा पहने चांदी-सोना, कलियां फेंके जादू-टोना, महक उठे सब पात, हवन की बात न करना! आज बसंत …
बहुत दिनों तक हुआ प्रणय का रास वासना के आंगन में, बहुत दिनों तक चला तृप्ति-व्यापार तृषा के अवगुण्ठन में, अधरों पर धर अधर बहुत दिन तक सोई बेहोश …
प्रेम को न दान दो, न दो दया, प्रेम तो सदैव ही समृद्ध है। प्रेम है कि ज्योति-स्नेह एक है, प्रेम है कि प्राण-देह एक है, प्रेम है कि …
प्रेम-पथ हो न सूना कभी इसलिए जिस जगह मैं थकूँ, उस जगह तुम चलो। क़ब्र-सी मौन धरती पड़ी पाँव परल शीश पर है कफ़न-सा घिरा आसमाँ, मौत की राह …
आदमी को आदमी बनाने के लिए जिंदगी में प्यार की कहानी चाहिए और कहने के लिए कहानी प्यार की स्याही नहीं, आँखों वाला पानी चाहिए। जो भी कुछ लुटा …
पीर मेरी, प्यार बन जा ! लुट गया सर्वस्व, जीवन, है बना बस पाप- सा धन, रे हृदय, मधु-कोष अक्षय, अब अनल-अंगार बन जा ! पीर मेरी, प्यार बन जा ! अस्थि-पंजर …