Category: गिरधर राठी
साँप सुनें अपनी फुफकार और सो जाएँ चींटियाँ बसा लें घर-बार और सो जाएँ गुरखे कर जाएँ ख़बरदार और सो जाएँ
फिर क्या हो जाता है कि क्लास-रूम बन जाता है काफ़ी-हाउस घर मछली बाज़ार? कोई नहीं सुनता किसी की मगर खुश-खुश फेंकते रहते हैं मुस्कानें चुप्पी पर, या फिर …
कुछ ठोस मुद्दों पर कुछ ठोस रोशनी गिरी हवाई सवालों को हवाई जवाब ले उड़े काल्पनिक सिर अब ठोस हाथों में था कुछ ठोस `निचुड़ा´ ठोस चीज़ों पर ठोस …
देखे चांद-सितारे देखे तनहा-तनहा सारे देखे साहिल और सहारे देखे हसरत के गुब्बारे देखे बुत मस्जिद गुरुद्वारे देखे गुरबत के अंगारे देखे तड़-तड़ टूटे ईमां देखे रोज़ नए बंटवारे …
सच वह कम न था नींद उखड़ी जिससे न ही यह कम है – उखड़ी हुई नींद जो अब सपना नहीं बुन सकती अंधेरे में या रोशनी जलाकर जो …