Category: गौरव शर्मा
भीड़ से चीखकर ये आवाज़ आई तोड़ो ये दिवार जो सच पर छाई परम सच है इस दिवार के पीछे अरसे पहले ये महापुरष कह गए श्री श्री 117 …
मंद -मंद पल छंद पवन ,यु चली प्रेम रस की फुहार , तीखी अगन मीठी चुभन ,कर गयी ह्रदय को तार तार … मंद मंद …… ना बस ही …
नैनन नीर धरे खुशियन के ,अधरों पे मुस्कान प्रिये केशों में घुंघराली लटिका,तुम प्राण प्रिये तुम प्राण प्रिये तुम मिलन आस में भोर भाई, अंखियों में रैना बीत गयी …