Category: गंगा प्रसाद विमल
भूल चुके वे कैसे किया जाता है जीवन वे जानते हैं कैसे मरते हैं. और अब वे छाया की तरह रास्ते पर चलते हैं आदेश से रुकते हैं हुक्म …
ओ मेरे प्रपिता दूरस्थ प्रपिता सौ साल से भी उपर होंगे उस उत्सव दिन की शाम को जब तुमने दिया था मुझे नाम. यही तो है बूढ़े चरवाहे की …
जन्मी है शक्ति गरीब की उपजाऊ धरती से बेबसी में ही बढ़ी है हमारी महान सामर्थ्य दो मुझे दो शक्ति जिसे हृदय ने रोपा है जिसे रोप कर काटा …
अन्तहीन घासीले मैदानों पार मेरे और तुम्हारे बीच बहती है दर्द की वोल्गा और वहाँ हैं ऊँचे किनारे. वहाँ है एक ऊँचाई वहाँ एक भयंकर शत्रु…. वहाँ वहाँ से …
देर गये पेरिस के कला क्षेत्र मेरे टूटे अंधेरे. अभी पीड़ित करते हैं. अभी बरसता है और दुबारा कहवा घर में घुसता है कलाकार उलझती हैं आँखें उस सुंदर …
रूपांतर इतिहास गाथाएं झूठ हैं सब सच है एक पेड जब तक वह फल देता है तब तक सच है जब यह दे नहीं सकता न पत्ते न छाया …
कौन कहां रहता है घर मुझमें रहता है या मैं घर में कौन कहां रहता है घर में घुसता हूँ तो सिकुड जाता है घर एक कुर्सी या पलंग …
शेष कई बार लगता है मैं ही रह गया हूँ अबीता पृष्ठ बाकी पृष्ठों पर जम गई है धूल। धूल के बिखरे कणों में रह गए हैं नाम कई …