Category: गँगा प्रसाद भूतड़ा
बाप की थप्पड़- दुनियाँ की अँधड़ से बचाती है; क्योंकि – उन की थप्पड़ में- अनुशासन का पाठ है , कर्तव्य का ज्ञान है , कुल के गौरव का …
बहुत छोटा सा अक्षर है -माँ मगर, हर रिश्ते से ऊपर है ; क्योंकि – इसके दिल में, ममता है , वात्सल्य है , दुलार है , इसकी आँखों …
आम आदमी आम आदमी को ठग लेता है आम आदमी आम आदमी से झूठ बोलता है आम आदमी आम आदमी को धोखा देता है आम आदमी आम आदमी को …
न्याय की पोथी के वो पन्ने सुलगा रहे थे पूछा क्यों ?तो बोले चुनाव जो आ रहे हैं इत्मीनान से कर रहे थे वो कश्ती में सुराख नाव जब …
जननायक की जय हो फूट गए जन-जन के किस्मत जब खलनायक ही अधिनायक क़ोम -क़ोम में लहू बहाकर कहलाते खुद को जननायक शाख -शाख पर उल्लू बैठे साध रहे …
कैसे साधे इस पे निशाना, बड़ी मज़बूरी है मौन कुर्सी की टाँगे, इसने ही टिका रखी है सबूत हटाये इन्ही हाथों से, बड़ी मज़बूरी है उसके हाथों ने चाबी …
मेरी माँ के आँचल में पनाह पाता हर धर्म मेरी माँ कि छाती से पोषित सब संस्कृति मेरी माँ की गोदी में प्रफुल्लित है हर कोम इसीलिये गर्व है …
वो दिल बहलाने को फेंकते हैं समन्दर में कंकड़ नहीं सोचते हजारों लहरें यूँ ही खत्म हो जायेगी उनके मुस्कराने का अंदाज कैसे बयाँ करे? जानो इतना कि- कयामत …
मुहब्बत मिट नहीं सकती …………। मुहब्बत अमर कहानी है, मुहब्बत मिट नहीं सकती।। मेरे दिल में – बसी हो तुम, तेरे दिल में – बसा हूँ मैं तडफता मैं …
क्या माँगा था क्या दे गये माँगा उनसे विकसित भारत,वो मर्ज बढाकर चले गये जन कल्याण की पोथी से,खुद का कल्याण ही कर चले समस्या कुछ और बतायी,वो मेख …
क्षणिकाएँ ( 2 ) गपलेबाज को पकड़ना नामुमकिन है श्रीमान क्योंकि वह नेताओं के टोले में छुपा है और नेताओं के चेहरे में कुछ फर्क नहीं है श्रीमान —————————- …
बिलख पड़ी भारत माता …….. गद्दारों के अभिवादन से, बिलख पड़ी भारत माता काटा जिसने बेटे का सिर, उन पापी से कैसा नाता शिष्टाचार की परिभाषा भी, बदली इन …
दीमक और साँप हमने पूछा- दीमक या साँप किसे चुनेंगे श्रीमान? वो बोले- जीने के लिए ये कब हुए हैं अच्छे ? विकल्प में लाइये कुछ व्यक्तित्व सच्चे क्योंकि, …
गाँवों के विकास पर धन का आवंटन हर बरस होता है फिर भी गाँव गाँव ही रहता है!! शिक्षा के प्रसार पर खूब खरच होता है फिर भी शिक्षित …
यह देश चलता कैसे है सीधे-सुलझे रिश्ते भी,वो उलझाते कुछ ऐसे हैं नहीं जानता राम-रहीम,यह देश चलता कैसे है समस्या से समस्या का,वो गुणाकार ही करते हैं इसकी टोपी …
आँखें …………. डूबने के लिए समन्दर की है कहाँ जरुरत इन आँखों में बस एक गोता …लगा कर बताओ शाम ढलते ही भागते क्यों मयखाने की तरफ इन नशीली …
तितली उड़ने दो तितलियों को मुक्त गगन में इनके बिना यह गगन बेरंग लगता है रहने दो तितलियों को हर उपवन में इनके बिना उपवन बदरंग लगता है मंडराने …
मिलन रात ढ़लती गई, हम गुनगुनाते गये शमा जलती रही, हम पिगलते रहे रात घुटती गई, चाँद चमकता गया हुस्ने-आग में खुद को जलाते रहे लटा उड़ती गई, तारे …
कब तू पास बुलाती है ….. मेरे दिल की चाहत, तेरा इकरार चाहती है। उल्फत के अल्फाज,तुझ से सुनना चाहती है। ये होंठों की मुस्कान,प्यार का रंग लगाती है। …