Category: गंगा धर शर्मा
बज़्म में गीत गाता हुआ कौन है. लूटता यूँ दिलों को भला कौन है. कह रहे हैं परम-आत्मा कौन है. देखना भाइयों जा-ब-जा कौन है. सोचिये आसमाँ को करीबे …
जो जहाँ भी जहाँ से उठता है . तो ज़नाजा वहाँ से उठता है . बात पूरी नहीं करी तो फिर. अक्द तेरी जबां से उठता है. आब ही …
चाहे तो पीर -पयंबर-कि कलंदर देखो मौत से छूट सके ना, कि सिकंदर देखो ये कातिल नर्म बाहें हैं हमारे यार की सिमट के इनमें खुद ही न जाए …
……………..एक गज़ल ………………….. ये मस्त हुश्न तेरा ,कोई जलजला ही लगे. मुझको तो आशिकों की , अब क़ज़ा ही लगे. कि बढ़ रहा है दमा और घुट रही साँस …
होली है त्यौहार रंगों का , आओ तन मन रंग लें . हो खुशियों की बौछार , आओ तन मन रंग लें. सबका हो हर अरमान पूरा ना सपना …
क्यों हर रोज शाम हो जाती है. कितनी मेहनत कर हर मौसम में जाग ही जाता है कैसे भी क्यों न हो धरती का भाग्य ! और हम इंतजार …
सागर जितना खारा है उतनी ही गहरी खाई है. दर्द समेटा दुनिया का, पहलू में पीर पराई है. जिसको मिलता है मान, वही बौराता है. भरा उदर ही , …
यह रात बीत जायेगी ! कौन कह रहा है यह रात बीत जायेगी. बिना श्रृष्टि के नव श्रृजन , पूरा नहीं होगा हवन, कर ले कोई सौ जतन, सुबह …
भ्रम जाल में उलझ गया सीधा सा इंसान. सूर्य ग्रहण कटु सत्य है, समय बड़ा बलवान. टूट-टूट कर आदमी,रहा जरा सा जोड़. रेशम-कीट बुनता रहा मृत्यु का सामान. हरिश्चंद्र …
संध्या ढल रही है. सांस रूकती तो है, पर चल रही है. आँसुओं के आँचल में आनन्, दिनकर छुपा रहा. आई है वो जाने किस जहां से,अंदाज़ा लगा रहा. …
26 जनवरी 1950 (गणतंत्र दिवस) सुहानी सुबह को आसमां में लहरा उठा तिरंगा | भारत में बही थी, आज ही, गणतंत्र की गंगा || व्यक्ति स्वतंत्रता संग अभिव्यक्ति की …
…चीज जो थी अपनी छुपा ली गयी है….. चिरागों से लौ भी चुरा ली गयी है…. डालकर झोली में फ़क़ीर की सिक्का… कुछ दुआएं जनाब उठा ली गयी है …
कल ……………..किसने देखा आने वाला पल….. ….किसने देखा गिर कर पड़ते को ……..सबने देखा गिरते से गया संभल …..किसने देखा गंगा धर शर्मा ‘हिंदुस्तान’
इतना मैं घर में तुम्हारे अहम हूँ । ये तो नहीं की शिकार-ऐ-वहम हूँ । जब भी सुना बस मेरा जिक्र था । जिक्र ही से बन गया मैं …
चाहे तो पीर -पयंबर-कि कलंदर देखो मौत से छूट सके ना, कि सिकंदर देखो . ये कातिल नर्म बाहें हैं हमारे यार की सिमट के इनमें खुद ही न …
चीज जो थी अपनी छुपा ली गयी है….. चिरागों से लौ भी चुरा ली गयी है…. डालकर झोली में फ़क़ीर की सिक्का… कुछ दुआएं जनाब उठा ली गयी है …
बेपरवाही नहीं, प्रिया मेरी! विश्वास ह्रदय का मेरा है | तुमको सब कुछ सौंप दिया , जो मेरा है सो तेरा है || मुक्त हुआ , कुछ फिक्र नहीं …