Category: गगन गिल
मेरी साँस में लकीर मेरी साँस में लकीर किसी धुएँ की लकीर मेरी साँस में लकीर किसी धुएँ की लकीर किसी गाड़ी की लकीर कहीं जाने की लकीर मेरी …
कभी कभी वह बिलकुल भूल जाती जिसे वह इस बार बता रही है तीन साल का पिछली बार वह तेरह का था पांचवी में पढ़ती थी बच्ची जो अब …
दुख उसने बहुत दिन हुए पीछे छोड़ दिए थे भिक्षु की पीड़ा में संसार गलता है अब
बच्चे तुम अपने घर जाओ घर कहीं नहीं है तो वापस कोख में जाओ, माँ कहीं नहीं है पिता के वीर्य में जाओ, पिता कहीं नहीं है तो माँ …
निचुड़ा- निचुड़ा दिल था री माँ! मैला- मैला डर था री माँ! माथा टकता काग था री माँ नीला हो गया साँस था री माँ! सूँघा सोती को नाग …
न मैं हँसी, न मैं रोई बीच चौराहे जा खड़ी होई न मैं रूठी, न मैं मानी अपनी चुप से बांधी फाँसी ये धागा कैसा मैंने काता न इसने …
जल गगन मगन दुख नगन नगन आँख जलन जलन नींद चलन चलन तारे भगन भगन सपने अगन अगन विष जलन जलन पीर चलन चलन पांव थकन थकन प्यास जगन …
सब जान लेगी वह तुम्हारे बारे में अपने तप से एक दिन सुन लेगी सब बातें तुम्हारे चीवर और देह के बीच पता चल जाएगा उसे तुरंत …
एक उम्र के बाद माँएँ खुला छोड़ देती हैं लड़कियों को उदास होने के लिए… माँएँ सोचती हैं इस तरह करने से लड़कियाँ उदास नहीं रहेंगी, कम-से-कम उन बातो …