Category: दिनेश त्रिपाठी ‘शम्स’
वक़्त जब इम्तहान लेता है , हर हक़ीकत को जान लेता है . तोल लेता है पहले पर अपने , तब परिन्दा उड़ान लेता है. भूख भड़की तो जान …
वक़्त के सांचे में अब तुम भी ढलो ऐ शम्स जी , छल रहे हैं जो तुम्हें उनको छलो ऐ शम्स जी . सब अंधेरा बांटते हैं इस नगर …
हादसे तीरगी हो गये हौसले रोशनी हो गये आदमी हो गये जानवर देवता आदमी हो गये रात भर जो थे अपने वही सुबह को अजनबी हो गये आपने हमको …
दिल लुभाती रही रात भर चांदनी मुस्कुराती रही रात भर चांदनी जाने किस मीत के प्रीत का गीत ही गुनगुनाती रही रात भर चांदनी द्वार पर देख तारों की …
य़ूं हमेशा के जैसी वही धूप है , लग रही आजकल कुछ नयी धूप है . झॆलकर शीत की सर्द तीखी चुभन , लग रही है बहुत डर गयी …
कभी इनका हुआ हूं मैं कभी उनका हुआ हूं मैं , खुद अपना हो नहीं पाया मगर सबका हुआ हूं मैं . तुम्हारी आंधियां मुझको करेंगी दर-ब-दर लेकिन , …
पूछ मत मुझसे कि क्या कैसा हुआ जो हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ मै भरोसा ले गया बाजार में मुझको हर व्यापार में घाटा हुआ जाने कब लौटेगा अपनी …
यूं तो सदा असीमित ही इच्छायें होती हैं , रोको मन को इसकी कुछ सीमायें होती हैं . जन वंचित के वंचित ही रह जाते हैं , और तंत्र …
ख़त का तेरे जवाब तुझे दे रहा हूं मैं , ग़ज़लों की इक किताब तुझे दे रहा हूं मैं . ले करके आये तू जो अगर नींद कहीं से …
कुछ मिलन कि बातें कुछ इन्तज़ार की बातें , खूब याद आती हैं तेरे प्यार की बातें . जो गुलों के बिस्तर पर रात सो के आये हैं , …
प्यार जब भी बहक गया होगा , एक शोला भड़क गया होगा . याद के फूल जब खिले होंगे , दिल का आंगन महक गया होगा . कोई चेहरा …
मयकदे मे शराब रहने दे , यूं न पी बेहिसाब रहने दे . तुझको दुनिया समझ न ले पत्थर , कुछ तो आंखों में आब रहने दे . मैं …
दर्द में गर मज़ा नहीं होता , प्यार दिल में जगा नहीं होता . उससे मिलने की जुस्तजू क्यों है , वो जो मुझसे जुदा नहीं होता . जाने …
मान घटता है प्यार जाता है , मांगने से मेयार जाता है . प्यार करता है वो मुझे शायद , इसलिए मुझसे हार जाता है . डूबने का न …
दरपन को झुठलाने बैठे हैं , कितने लोग सयाने बैठे हैं . नये समय की ठोकर से मत डर , अभी तो लोग पुराने बैठे हैं . उधर जल …
ख़ुशबुओं का हिसाब रखता है , वो जो नकली गुलाब रखता है . उसका अहसास मर गया शायद , इसलिए वो किताब रखता है . पूछता है जवाब औरों …
ख़्वाहिश-ए-दिल हज़ार बार मरे , पर न इक बार भी किरदार मरे . प्यार गुलशन करे है दोनो से , न तो गुल और न ही ख़ार मरे . …
एक लम्हा गुजार कर आए , या कि सदियों को पार कर आए जीत के सब थे दावेदार मगर , एक हम थे कि हारकर आए आईने सब खिलाफ़ …
एक झूठी मुस्कुराह्ट को खुशी कहते रहे , सिर्फ़ जीने भर को हम क्यों ज़िन्दगी कहते रहे लोग प्यासे कल भी थे हैं आज भी प्यासे बहुत , फिर …
आईने पर यक़ीन रखते हैं , वो जो चेहरा हसीन रखते हैं आंख में अर्श की बुलन्दी है , दिल में लेकिन ज़मीन रखते हैं दीन-दुखियों का है खुदा …