Category: दीनदयाल शर्मा
बापू म्हानै रंग दिरा दयो बड़ी सारी पिचकारी ल्यादयौ
चिड़कल आवै आंगणियै में रोटी जद म्है खावूं हूं नेडै़ जावूं जद उड़ जावै पकड़ण म्हैं नी पावूं हूं
खों खों करै अर चिगल कडावै कूदै बांदरो मनड़ै भावै
रेलगाड़ी रा टी.टी. बोल्या नीं लागै इणमें हिचकोळा
बोल कबुतर गुटरू गूं गुटरू-गूं भाई गुटरू-गूं चिड़कल कै‘वै चीं चीं चीं मूसो कै‘वै चूं चूं चूं
म्हारी मैडम म्हारा सरजी म्हानै भणावै जद हुवै मरजी
खावै हरियल घास रो खेत उछळै-कुदै राखे चेत स्याणो-माणो मन बसियो म्हारो लाडेसर सुसियो
मेरे कुत्तो घणो निराळो बांकी पूंछ रंग रो काळो संगळां रो ओ लाड करै म्हारै घर रो ओ रखवाळौ
लाली दीपू दोन्यू आवो न्याव में बै‘ठो ना घबराओ कागदियां री कोनी न्याव सचली न्याव में आव, चलावो
आओ पापा चालां दुकान गुलकंद वाळो खावां पान
गंडक रीसा में गुर्रावै माऊ बो मनड़ै नीं भावै
बिरखा में डेडर टर्रावै माऊ म्हानै घणो सुहावै
चम्पू रोज उडावै खिल्ली मासी नै कै‘देवै बिल्ली
मोटा तगड़ा दादोसा जद भी नकली दांत दिखावै सगळा टाबर हाथी कै‘नै हांस-हांस‘नै वांनै चिगावै
आजादी रै दिन नै अक्कू भी मनायो पींजरे नै खोल्यो अर सूवै नै उडायो
मेरा झबरू प्यारो कुत्तो सीयै-उन्याळै पै‘रै जूतो
बस्तो भारी हिवड़ो भारी करदयो बस्तो हळको हिवड़ो हूज्यै फलको
कितना सारा काम करूँ मैं फिर भी गधा कहाता किससे कहूँ मैं पीड़ा अपनी किसे नियम बतलाता। लादो चाहे कितना बोझा चुपचाप लदवाता मैं भी करूँ आराम कभी तो …
मेरे घर आया मेहमान मानूँ मैं उनको भगवान रोज रोटियाँ दाल बनाते आज बने हैं पकवान। घर की बैठक को सजाया सबने अनुशासन अपनाया करते भाग-भाग कर पूरे उनके …
बारिश का मौसम है आया । हम बच्चों के मन को भाया ।। ‘छु’ हो गई गरमी सारी । मारें हम मिलकर किलकारी ।। काग़ज़ की हम नाव चलाएँ …
मन चंचल काबू से बाहर मन को कैसे पकडूँ मैं, मन पल में भग जाए कहीं पर मन को कैसे जकडूँ मैं, मन मारूँ ना मन की मानूँ मन …
गाँधी बाबा आ जाओ तुम सुन लो मेरी पुकार, भूल गए हैं यहाँ लोग सब, प्रेम, मोहब्बत प्यार । शांति, अमन और सत्य-अहिंसा पाठ कौन सिखलाए , समय नहीं …
गाँधी-शास्त्री सबके प्यारे हम सबके हैं राज दुलारे । हम सब सीखें इनसे जीना, ये हैं सबकी आँख के तारे । संकट में ना ये घबराएँ सत्य अहिंसा हमें …
अकड़-अकड़ कर क्यों चलते हो चूहे चिंटूराम, ग़र बिल्ली ने देख लिया तो करेगी काम तमाम, चूहा मुक्का तान कर बोला नहीं डरूंगा दादी मेरी भी अब हो गई …