Category: दीन
इन्दिरा के मन्दिर से सुंदर बदन वे , मदन मूँदै बिहँसै रदन छवि छानि छानि । ऊरून मे ऊरू उर उरनि उरोज भीजे , गातनि गात अँगिरात भुज भानि …
जितना दीखै थिर नहीं, थिर है निरंजन नाम। ठाठ बाट नर थिर नहीं, नाहीं थिर धन धाम॥ नाहीं थिर धन धाम, गाम घर हस्ती घोडा। नजर जात थिर नाहिं, …
हिंदु कहें सो हम बडे, मुसलमान कहें हम्म। एक मूंग दो फाडा हैं, कुण ज्यादा कुण कम्म॥ कुण ज्यादा कुण कम्म, कभी करना नहिं कजिया। एक भगत हो राम, …
अर्थ है मूल भली तुक डार सुखच्छर पत्र को पेखिकै जीजै । छन्द है फूल नवोरस हैँ फल दान के वारि सोँ सीँचिबो कीजै । दीन कहै योँ प्रवीनन …