Category: धर्मेन्द्र शर्मा
उनके इंकार में इकरार का इशारा ढूँढा जाये चलो सर्द राख से शरारा ढूँढा जाये पंख नहीं है पर असमान छूने की हसरत है हौसलों के साथ हवाओं का …
चित खोकर चितचोर हो गए घनघोर अँधेरे भोर हो गए खुद को खोकर तुझको पाया हम चन्दा और चकोर हो गए प्रीत का ऐसा है गठबंधन तुम पतंग हम …
गंदे नाले बने समंदर रंगदार अब बने सिकन्दर सत्ता के गलियारों में देखो इधर भी बंदर उधर भी बंदर सच्चाई के पहरेदारो झूठ छुपे तुम सबके अंदर किसे करें …