Category: देवांशु पाल
दीवार जितनी जमीं के ऊपर उतनी ही जमीं के नीचे जितनी मजबूत जमीं उतना ही मजबूत मकान जितनी उम्मीद मकान की छत पर उतनी ही नींव पर कल जब …
बस्ती की औरत से मत पूछो कि, उसकी आँखों के नीचे चमकती बून्दे पसीने की हैं या आँसू बस्ती की औरत से मत पूछो उसके होंठों की चुप्पियाँ उसकी …
बत्तीस साल की कुंआरी लड़की दफ़तर जाती है; लूना से थोड़ी-सी महंगी साड़ी पहनकर थोड़ा सा महंगा पाउडर लगाकर थोड़ी सी मुसकराहट चेहरे पर लाकर बत्तीस साल …
रास्ते में प्यास लगी नगर निगम का नल बंद था हॉटल का पानी गंदा था पास का घर मुसलमान का था मैं लौट आया प्यासा घर में आकर …
जब तुम्हारी सारी बन्दूक की गोलियाँ खत्म हो जाएगी तिब्बत की सड़कों पर दनदनाते बरसाते हुए जब तुम्हारे सारे गोले बारूद खत्म हो जाएंगे घर बाजार शहर वीरान करते …
ओ तिब्बत की माताओं तुम्हारी कोख में जो बच्चा पल रहा है तुम्हें जन्म देना होगा उसे इस धरती पर जहाँ सत्तालोलुप आदमखोरों ने लहू की नदियाँ बहाईं हैं …