Category: देवनाथ सिंह
अगर मगर ना कर राही। डगर डगर पर चल राही॥ मान लो इस बात को सत। बना लो इसे जीवन का व्रत॥ अब भी अगर समझ के नही। तब …
मन होता है बड़ा जटिल । रहती है इसमे ढेरो उलझनो सटिल॥ उम्र के शुरु होने से ढलने तक। खत्म न होने वाली मकड़ जाल तक॥ मनो उलझन तलाशना …
हर सफलता और सुख चाहता है नीज कीमत । बिन चुकाए किमत प्राप्त सफलता चोरी धन की तरह नही फलित ॥ कर तु आत्म-मंथन, आत्मरूची और क्षमता सीज। कर …
चरणों मे मॉ के तीर्थो का धाम। ऑंखो मे पुरी विश्व का जाम॥ ना कर मॉ को कभी भी निराश। बैठी सदा लगाए तुझसे कुछ आश॥ जिसने तुम्हे दुख …