Category: देवेंद्र प्रताप वर्मा ‘विनीत’
हम रहते हरदम चर्चा में शासन सत्ता के पर्चा में भारत का लाल समझते हैं वो ख्याल हमारा रखते हैं। सदियां बदली बदले मौसम युग बदला पर न बदले …
आदेशों के पालन में अवरोध नही बन सकता हूँ मैं सेना का नायक हूँ विद्रोह नही कर सकता हूँ। हे जनमानस हे जग पालक हे सत्ता के दृढ़ निर्वाचक …
लाख आये तबाही के मंजर यहां विघ्न व्याधि उदासी के खंजर यहां। टूटता ही नही सिलसिला जिन्दगी है बड़ा जीने का हौसला जिंदगी। मौत सिरहाने पे मुस्कुराती खड़ी हाथ …
किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी ठहरो इस हादसे की और भी खबरें आती होगी। मरने और मारने वालों के अलावा भी कोई था कुछ भी स्पष्ट नही,कहना भले …
वो बूढ़ा है बहुत नाजुक फिर भी सख्त लगता हैपराये घर को अपनाने में काफी वक़्त लगता है। जिसे देखो वही मेरी मोहब्बत पे नजर रखता हैलबों से मुस्कुराता …
छोड़कर एक दिन तुम चले जाओगे सारी रस्मे जहां की निभा जाओगे मैं अकेला तुम्हे याद करता रहूंगा मुझसे मिलने कभी तुम आ जाओगे। पहले जैसा नही तुम पे …
कभी अतीत के काल क्रम सेकुछ कुछ चुनते रहते कभी मनस की इच्छाओं केधागों की चादर बुनते कभी अनेको घटनाओं के जंजाल में उलझे रहतेकभी सुहानी डगर दिखाकरमंद पवन …
सती विरह में बैरागी होशिव समाधि में लीन हैं,पार्वती है सती स्वरूपाशिव तप में तल्लीन हैं। क्यों न तुम पहचान रहे प्रभुमैं ही शक्ति तुम्हारी हूँ,स्मृतियों से विस्मृत हूँनियति …
दिन गुज़रते रहे रात कटती रही,तू सितारों में झिलमिल चमकती रही। तुझको खोया है जो पा भी जाऊँगा परफिर से ऐसी अधूरी कहानी न हो,एक घड़ी हो मुकम्मल मुलाकात …
कौन है जो मेरे भीतर हैजिसको मैं जान न पाऊँ,मेरे नाम से जाना जातालेकिन मैं पहचान न पाऊँ। दिन रात की आँख मिचौलीचाँद चाँदनी फिजा रंगीली,कुंज लताएँ सुमन सुगंधित,तरुवर …
बदल रहा है घटनाक्रमवक़्त कहे तुझे भूले हम,पाकर खोया है एक दिनफिर से पा जाओगे तुम। दुख की स्मृतियों से बाहरसुख की कलियों में देखो,यहीं कहीं वो आस पास …
हमसफर, तेरा भाई, मैं तेरा सखा हूँ,मगर तेरी हालत पे मैं ग़मजदा हूँ।बंदिशें यातनाएँ रुदन विरह पीड़ा,हर एक दाँव से हाँ तुझको छला हूँ। तेरे साथ उड़ने की ख्वाहिश …
फिर रही है आसमा मेंख्वाबों की परियाँ जमीं की,मैं अंधेरों से घिरा हूँतुम किरण हो रोशनी की। तुमने दिखाए दृश्य वेजिसने मुझे जीवन दिया,आँखों में आँखें डालकरबात की मेरी …
मुझे ग़म है नही कुछ भी मुझे चिंता तुम्हारी हैगुनाहों के सफर में जो जिंदगी तुमने गुजारी है। उसे शिकवा नही कोई क़हर जिस पर तुम्हारा थामगर मैं हमसफर …
मुझसे लिपटकर रोना तेरायाद है मुझको खोना तेरा। अश्रुमयी तुम द्वार खड़ी तुममुझको जाते टोक सकी ना। क्षण निष्ठुर निर्मोही कैसाहाय मुझे क्यों रोक सकी ना। बेसुध होकर सोना …
मन क्यों तेरे पीछे भागेतू जीवन मे प्रीत सी लागेतुझको देखूं या न देखूंतू दिल की चौखट से झांके। जुड़े हुए हम किन धागों मेंसुर अलबेले हैं रागों में।लाख …
गांव गई तो मुझे मिलाबाबा का घरमिट्टी की दीवारें खपरैल और छप्परखपरैल की मुंडेर पर घड़े से बनी कलशनुमा कलाकृतिघर को बनाती खूबसूरत,घर अब घर नही बल्कि कहलाता बाबा …
स्वप्न पटल पर तुम आते होरोम रोम मन हर्षाते हो।भावों की निर्झर सरिता मेंपुष्प कुमुद सा खिल जाते हो।किन्तु हृदय में चिरानंद होगीत मधुर कब गाओगे।जीवन मे कब आओगे। …
वक़्त की क़ैद से छूटे लम्हे,बैठ तू साथ मेरे दिल से कहते लम्हे।है उम्र भर की थकनआके छू ले मेरा मनथाम ले हाथ मेरा मुझसे कहते लम्हेलफ्जों का दौर …
मेरी कोई कहानी नहीमैं तुम्हारी कहानी का किरदार हूँ।तुम चलो जिस डगर वो ही मेरी डगरमुश्किलों के दौर में वफ़ादार हूँ।चोट तुमको लगी टूट मैं भी गयादर्द को दर्द …
एक चींटी चली जा रहीअपनी मस्ती में गा रहीदूर शक्कर की एक ढेलीदिख रही थी पड़ी अकेलीबिटिया रानी उसी डगर परचली झूमकर डग मग करकदमों के नीचे न आयेनन्ही …
*हथेलियों की छाप*वह बहुत खुश थी आजऔर मैं उससे भी अधिक खुश थाउसे खुश देख।वह मेरी हथेलियों के साथअपनी हथेलियों की छाप लेना चाहती थी आंगन की दीवार पर।सहेज …
स्वप्नों की पगडंडी छोड़विरह कुंज से नाता तोड़,शब्द सुरभि चितराग भव मधुर मंद मधुमय मुस्काये।आखिर तुम गीतों में आए।सावन की रिमझिम फुहार मेंपपीहे की पहली पुकार में,ऊंच नीच की …
दो दाँतफलों की टोकरी में फल रखे सेब केबाजार से लाई थी चुनकर माँ देख के।सुंदर सजीले मधुर स्वाद केचमकदार सारे बेदाग से।था एक सेब अधकुतरा हुआमाँ ने न …
बात छोटी थी बड़ी हो गईवो लड़की अपने पैरों परखड़ी हो गईहोना था वहीजो हुआ है अभीफिर शोर क्यों हैकि गड़बड़ी हो गई। तुम अहम के अधीनभ्रम रच रहे …