Category: दीपेश जोशी
रूह को ठेस पहुचे करना वो काम छोड़ दो,पाबंद रहो वक़्त के,रहना ग़ुलाम छोड़ दो।यू गफलतों में जीना भी कोई जीना है भला,झूठी हँसी हसना सुबह-शाम,छोड़ दो।एक गली की …
कोई गीत हो या ग़ज़ल लिखू, चाहे आज या के कल लिखू। हर लम्हा तुझसे जुड़ा मेरा, चाह है तुझे हर पल लिखू। जो बादल धुप से बचाये मुझे …
तुम हो कि हद मे रह नहीं पातेहम है कि यह सब सह नहीं पाते।वो क्या है जो तुम सुनने को बेताब होवो क्या है जो हम कभी कह …
एक लफ्ज़ करू जो अर्ज़ तुझे,एक लफ्ज़ की है तलाश मुझे।एक लफ्ज़ जो मेरा दुश्मन है,एक लफ्ज़ से है हर आस मुझे।एक लफ्ज़ जो मेरा कातिल है,एक लफ्ज़ से …
खुद अपनी तामीर मिटाने चले होसहरा को समंदर बनाने चले हो। बातें करता है ज़माना अब तोकि तुम अपनी तकदीर मिटाने चले हो सहरा को समंदर बनाने चले हो। आफ्ताब की रोशनी …
क्या मिला मुझे इतनी मोहब्बतों के बाद हाथ खाली ही रहे इबादतों के बाद। वो लोग जो पास से उठते नहीं थे कभी मिलने आये मुझसे कई मुद्दतों के …
दिन रोज़ ढलता है, शाम गुजरती हैं, मुसीबतें पार कर ही शख्सियत उभरती हैं। रुह तक कॅाप जाती है इबादत करने में कई कोशिशों बाद कोई तामीर सवरती हैं। …
ये हुनर मुझे भी आ जाएगा वक्त के साथ सब बदल जाएगा। मुसीबत कब तक रहेगी सर पे आखिर कोई हल तो ज़रूर निकल जाएगा। इन रातों के अंधेरो …