Category: दीपक शर्मा
जब भी कोई बात डंके पे कही जाती है
अब सियासतदानो को नहीं करनी सियासत चाहिए ……
एक साठ वर्षीय नेत्रहीन व्यक्ति——-
जाती है दृष्टि जहाँ तक बादल धुएँ के देखता हूँ
“जाती है दृष्टि जहाँ तक बादल धुएँ के देखता हूँ अर्चना के दीप से ही मन्दिर जलते देखता हूँ । देखता हूँ रात्रि से भी ज्यादा काली भोर को …
कितने बच्चे सोते हैं रोज़ रखकर पेट में लातें अपनी
कितने बच्चे सोते हैं रोज़ रखकर पेट में लातें अपनी बना नहीं अभी कच्चा है कह देती है रोकर जननी । भोर हुए उठते हैं जब पाते हैं दो …