Category: दरिया साहब
साधो ऐसा ज्ञान प्रकासी। आतम राम जहाँ लगि कहिए, सबै पुरुष की दासी॥ यह सब जोति पुरुष है निर्मल, नहिं तँह काल निवासी। हंस बंस जो है निरदागा, जाय …
दरिया लच्छन साध का, क्या गिरही क्या भेख। नि:कपटी निरसंक रहि, बाहर भीतर एक॥ कानों सुनी सो झूठ सब, ऑंखों देखी साँच। दरिया देखे जानिए, यह कंचन यह काँच॥ …
जाके उर उपजी नहिं भाई। सो क्या जाने पीर पराई॥ ब्यावर जानै पीर की सार। बाँझ नार क्या लखै बिकार॥ पतिव्रता पति को व्रत जानै। बिभचारिनि मिल कहा बखानै॥ …
नाम बिन भाव करम नहिं छूटै। साध संग औ राम भजन बिन, काल निरंतर लूटै॥ मल सेती जो मलको धोवै, सो मल कैसे छूटै॥ प्रेम का साबुन नाम का …