Category: दाग़ देहलवी
न जाओ हाल-ए-दिल-ए-ज़ार देखते जाओ कि जी न चाहे तो नाचार देखते जाओ बहार-ए-उमर् में बाग़-ए-जहाँ की सैर करो खिला हुआ है ये गुलज़ार देखते जाओ उठाओ आँख, न शरमाओ …
दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें जानेवाली चीज़ का ग़म क्या करें पूरे होंगे अपने अरमां किस तरह शौक़ बेहद वक्त है कम क्या करें बक्श दें …
दिल को क्या हो गया ख़ुदा जाने क्यों है ऐसा उदास क्या जाने कह दिया मैं ने हाल-ए-दिल अपना इस को तुम जानो या ख़ुदा जाने जानते जानते ही …
दर्द बन के दिल में आना , कोई तुम से सीख जाए जान-ए-आशिक़ हो के जाना , कोई तुम से सीख जाए हमसुख़न पर रूठ जाना , कोई तुम …
तेरी महफ़िल में यह कसरत कभी थी हमारे रंग की सोहबत कभी थी इस आज़ादी में वहशत कभी थी मुझे अपने से भी नफ़रत कभी थी हमारा दिल, हमारा …
तुम्हारे ख़त में नया इक सलाम किस का था न था रक़ीबतो आख़िर वो नाम किस का था वो क़त्ल कर के हर किसी से पूछते हैं ये काम …
रते हैं चश्म-ओ-ज़ुल्फ़, निगाह-ओ-अदा से हम हर दम पनाह माँगते हैं हर बला से हम माशूक़ जाए हूर मिले, मय बजाए आब महशर में दो सवाल करेंगे ख़ुदा से …
ज़बाँ हिलाओ तो हो जाए,फ़ैसला दिल का अब आ चुका है लबों पर मुआमला दिल का किसी से क्या हो तपिश में मुक़ाबला दिल का जिगर को आँख दिखाता …
क्या कहिये किस तरह से जवानी गुज़र गई बदनाम करने आई थी बदनाम कर गई । क्या क्या रही सहर को शब-ए-वस्ल की तलाश कहता रहा अभी तो यहीं …
ग़म से कहीं नजात मिले चैन पाए हम दिल ख़ूँ में नहाए तो गंगा नहाए हम जन्नत में जाए हम कि जहन्नुम में जाए हम मिल जाए तू कहीं …
ग़ज़ब किया, तेरे वादे पे ऐतबार किया तमाम रात क़यामत का इन्तज़ार किया हंसा हंसा के शब-ए-वस्ल अश्क-बार किया तसल्लिया मुझे दे-दे के बेकरार किया हम ऐसे मह्व-ए-नज़ारा न …
ख़ातिर से या लिहाज़ से मैं मान तो गया झूठी क़सम से आप का ईमान तो गया दिल ले के मुफ़्त कहते हैं कुछ काम का नहीं उल्टी शिकायतें …
क्यों चुराते हो देखकर आँखें कर चुकीं मेरे दिल में घर आँखें ज़ौफ़ से कुछ नज़र नहीं आता कर रही हैं डगर-डगर आँखें चश्मे-नरगिस को देख लें फिर हम …
क्या लुत्फ़-ए-सितम यूँ उन्हें हासिल नहीं होता ग़ुँचे को वो मलते हैं अगर दिल नहीं होता कुछ ताज़ा मज़ा शौक़ का हासिल नहीं होता हर रोज़ नई आँख, नया …
काबे की है हवस कभी कू-ए-बुतां की है मुझ को ख़बर नहीं मेरी मिट्टी कहाँ की है कुछ ताज़गी हो लज्जत-ए-आज़ार के लिए हर दम मुझे तलाश नए आसमां …
कहाँ थे रात को हमसे ज़रा निगाह मिले तलाश में हो कि झूठा कोई गवाह मिले तेरा गुरूर समाया है इस क़दर दिल में निगाह भी न मिलाऊं तो …
उनके एक जां-निसार हम भी हैं हैं जहाँ सौ-हज़ार हम भी हैं तुम भी बेचैन हम भी हैं बेचैन तुम भी हो बेक़रार हम भी हैं ऐ फ़लक कह …
उज़्र आने में भी है और बुलाते भी नहीं बाइस-ए-तर्क-ए मुलाक़ात बताते भी नहीं मुंतज़िर हैं दमे रुख़सत के ये मर जाए तो जाएँ फिर ये एहसान के हम …
इस अदा से वो वफ़ा करते हैं कोई जाने कि वफ़ा करते हैं हमको छोड़ोगे तो पछताओगे हँसने वालों से हँसा करते हैं ये बताता नहीं कोई मुझको दिल …
आरजू है वफ़ा करे कोई जी न चाहे तो क्या करे कोई गर मर्ज़ हो दवा करे कोई मरने वाले का क्या करे कोई कोसते हैं जले हुए क्या …
आफत की शोख़ियां है तुम्हारी निगाह में मेहशर के फितने खेलते हैं जल्वा-गाह में.. वो दुश्मनी से देखते हैं देखते तो हैं मैं शाद हूँ कि हूँ तो किसी …
अजब अपना हाल होता जो विसाल-ए-यार होता कभी जान सदक़े होती कभी दिल निसार होता न मज़ा है दुश्मनी में न है लुत्फ़ दोस्ती में कोई ग़ैर ग़ैर होता …
अच्छी सूरत पे ग़ज़ब टूट के आना दिल का याद आता है हमें हाय! ज़माना दिल का तुम भी मुँह चूम लो बेसाख़ता प्यार आ जाए मैं सुनाऊँ जो …