राम नाम जगसार और सब झुठे बेपार साक्षी प्रजापति 18/02/2012 छत्रनाथ No Comments राम नाम जगसार और सब झुठे बेपार। तप करु तूरी, ज्ञान तराजू, मन करु तौलनिहार। षटधारी डोरी तैहि लागे, पाँच पचीस पेकार। सत्त पसेरी, सेर करहु नर, कोठी संत … [Continue Reading...]
जय, देवि, दुर्गे, दनुज गंजनि साक्षी प्रजापति 18/02/2012 छत्रनाथ No Comments जय, देवि, दुर्गे, दनुज गंजनि, भक्त-जन-भव-भार-भंजनि, अरुण गति अति नैन खंजनि, जय निरंजनि हे। जय, घोर मुख-रद विकट पाँती, नव-जलद-तन, रुचिर काँती, मारु कर गहि सूल, काँती, असुर-छाती हे। … [Continue Reading...]