Category: भोला नाथ शुक्ल ‘मित्र’
मुफलिसी, लाचारगी , बेचारगी |ऐसी होती है भला क्या जिंदगी || काफ़िये बेदम नज़र आते जहां ,कर रही मातम वहां पर शायरी | रोज़ ढोता हूँ मैं सूरज पीठ …
करारविन्देन पदारविन्दं, मुखारविन्दे विनिवेशयानम ! बटस्य पत्रस्य पुटे शयानं, बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि !! मयूर पिच्छ मंडनं, गजेन्द्र दन्त खंडनं, नृशंस कंस दंडनम, नमामि राधिकाधिपम ! प्रदत्त विप्र …
गोपाल गोपाल गोपाल कस्तुरी तिलकम ललाटपटले, वक्षस्थले कौस्तुभम । नासाग्रे वरमौक्तिकम करतले, वेणु करे कंकणम । सर्वांगे हरिचन्दनम सुललितम, कंठे च मुक्तावलि । गोपस्त्री परिवेश्तिथो विजयते,गोपाल चूडामणी ॥
आर.सी. शर्मा “आरसी” “दीप-शिखा” विद्या विहार, कोटा जं०-324002 जी की सुंदर रचना आनंद लें. पितृ दिवस पर विशेष— रहे सदा जीवनभर जग में, तुम मेरी पहचान पिता, कहाँ चुका …
बेटी : था जन्म हुआ जिस दिन उसका न गीत बजे न शहनाई ! पर आज विदा के अवसर पर गीतों के संग क्या खूब बजी शहनाई ! है …
संसद मॆं चीर उतारा जायॆगा……. फिर सॆ बिगुल बजाना हॊगा, फिर तलवार उठानी हॊगी, आज़ादी कॆ परवानॆ बन, फिर ललकार लगानी हॊगी, इंक्लाब का वह नारा अब , फिर …
जान्हवी को धारण है किया जटा मध्य प्रभु कन्ठ सर्प माल ने भी बहुत नहाया है शीश पर बाल शशि आपके विराजमान डम डम डमरू भी आप ने बजाया है …
सवैयाविष्णुपदी शिवशीश सुशोभित आर्यधरा शुचि पोषक गंगा रोग निवारक साधक के हित पुण्य पवित्र सुयोजक गंगा निर्मल निर्झर धार बहे वह थी अपशिष्ट सुशोधक गंगाक्षालन पाप किया इतना शुचिताअब खोकर भौचक …
सच माँ —- माँ कभी तो बतिया जाओ ———– आओ थोडा वक़्त निकालो मुझसे यूँ ही बस बतियालो कुछ मेरे दिल का गुब्बार सह लों फिर नम आँखों से …
पहला सुख निरोगी काया दूजा सुख घर में हो माया तीजा सुख कुलवंती नारी चौथा सुख पुत्र हो आज्ञाकारी पंचम सुख स्वदेश में वासा छठवा सुख राज हो पासा …
कविता रचने में मस्ती बड़ी जरूरी है ! अन्यथा गर कही गयी निश्चित कोई मजबूरी है !! भोला नाथ शुक्ल
पहले नक्षत्रों को पहचानो फिर उनकी स्थितियां जानो !नक्षत्रों का चरण देख लो, पीछे तिथि का करण देख लो ! किसका किससे वरण देख लो, दृष्टि योग से भरण …