Category: भावना कुँअर
डॉ०भावना कुँअर बरसों बाद मेरे मन आँगन महका प्यार झूम उठा आसमां खिला संसार। मन की कलियाँ भी खिलने लगी चेहरे पे रंगत दिखने लगी कोयल की आवाज़ वर्षा …
डॉ०भावना कुँअर कहाँ से आए ये उड़ते-उड़ाते याद परिंदे हम कैसे बताएँ । भीगी पलकें उदासियों का चोला पहने बैठीं चुपके से आकर देखो तो जरा हवाओं के …
डॉ०भावना कुँअर नन्हीं -सी परी गुलाब पाँखुरी सी आई जमीं पे झूम उठा आँगन महकी हंसी रोशन होने लगा बुझा सा मन भर गई फिर से सूनी वो …
डॉ०भावना कुँअर बनकर दुश्मन जलाती तन बिगाड़े सब रिश्ते। बाज़ न आती आग तक लगाती न घबराती हैं सब ही पिसते। पूरे जंगल धूलतज-धू कर जे मूक रहते हर …
डॉ०भावना कुँअर ये खामोशियाँ डुबो गई मुझको दर्द से भरी गहन औ’ अँधेरी कोठरियों में। गूँजती ही रहती मेरी साँसों में प्यार-रंग में रंगी खुशबू भरी जानी पहचानी-सी बावरी …
डॉ०भावना कुँअर पहले रंगो फिर उतार फेंको भाये न मुझे छलिया-सी बहार पल का प्यार। समा के रखो तुम गहराई से मन के भीतर यूँ कि टूटे न ये …
डॉ भावना कुँअर 1. पल भर में टूटकर बिखरे सुनहरे सपने किससे कहूँ घायल हुआ मन रूठे सभी अपने। 2. हिरण बन न जाने कहाँ गई वो प्यार भरी …
डॉ०भावना कुँअर सँजोती जाऊँ आँसू मन भीतर भरी मन -गागर। प्रतीक्षारत निहारती हूँ पथ सँभालूँ कैसे उमड़ता सागर। मिलन -घड़ी रोके न रुक पाए कँपकपाती सुबकियों की छड़ी। छलक …
डॉ०भावना कुँअर 1 दूर है पथ थककर हैं सोए यादों के पाखी । 2 पागल हवा उड़ाकर ले आई यादों के खत। 3 मुड़ा-सा पन्ना कह गया कहानी वर्षों …
डॉ०भावना कुँअर 1 इत्र नहाई सोने से लदी फदी खुश थी ज़मीं । 2 नर्म औ सौंधी हवाओं की पिटारी खोलती चली । 3 घोलता कौन पिटारी में जहर …
डॉ०भावना कुँअर 1 ऐसे दीप जलाइए, रोशन सब जग होय अँधियारा मन का मिटे, फूट-फूट तम रोय । 2 आस्थाओं के तेल में, नेह-वर्तिका डाल उजियारा तम के लिए, …